गेहूं भंडारण के लिए किराए पर लेंगे गोदाम
सिकंदराराऊ व हाथरस में 5.5 हजार मीट्रिक टन क्षमता के होंगे गोदाम ब्लर्ब- एफसीआइ व स्टेट वेयरहाउस में जगह की कमी के चलते की जा रही व्यवस्था
जागरण संवाददाता, हाथरस : सरकार गेहूं क्रय केंद्रों पर मई से खरीद में इजाफा हुआ है। शुक्रवार तक 19,283.630 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी थी। इसमें से 9,500 एमटी गेहूं अभी तक गोदामों तक नहीं पहुंचा है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) व स्टेट वेयरहाउस कॉर्पोरेशन (एसडब्ल्यूसी) के गोदामों में पर्याप्त जगह नहीं है। इसलिए राज्य भंडार निगम के जरिए गोदाम किराए पर लिए जा रहे हैं।
इस बार गेहूं क्रय के लिए जिले को 57,900 मीट्रिक टन का लक्ष्य दिया गया है। गेहूं खरीदने के लिए जनपद में 64 केंद्र बनाए गए हैं। इनमें सबसे अधिक पीसीएफ के 54 क्रय केंद्र हैं। लक्ष्य के सापेक्ष अभी मात्र 33.31 फीसद ही खरीद हुई है। सारा गेहूं एफसीआइ के कलवारी रोड स्थित गोदाम तथा एसडब्ल्यूसी के मंडी समिति स्थित गोदाम में रखा जा रहा है। एफसीआइ में 18 हजार मीट्रिक टन की क्षमता है तथा स्टेट वेयरहाउस में 12 हजार मीट्रिक टन की। एफसीआइ में अभी 10 हजार मीट्रिक टन तथा स्टेट वेयरहाउस में पांच हजार एमटी की जगह शेष है। दोनों ही जगह ट्रकों की लंबी लाइन लगी हुई है। खरीद के सापेक्ष जगह काफी कम है। इसलिए प्रशासन गोदाम किराए पर लेने की तैयारी कर रहा है। राज्य भंडार निगम के आरएम ने जिले में दो जगह के प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय भेजे हैं। इनमें 5.5 हजार एमटी की क्षमता वाले गोदाम सिकंदराराऊ तथा 5.40 हजार एमटी क्षमता वाले गोदाम हाथरस में किराए पर लिए जाने हैं। प्रस्ताव पास होते ही किराए के गोदामों में भंडारण शुरू कर दिया जाएगा। शुक्रवार को 64 क्रय केंद्रों पर कुल 1388.85 एमटी गेहूं की खरीद की गई। उतरान में देरी से खरीद प्रभावित
एफसीआइ व स्टेट वेयर हाउस की मनमानी के कारण उतरान में देरी हो रही है। दोनों गोदामों के बाहर ट्रकों की लंबी लाइन लगी है। पर्याप्त संख्या में मजदूर नहीं लगाए गए हैं, जिससे उतरान नहीं हो पा रहा है। इससे सीधे खरीद प्रभावित हो रही है। अभी तक 9,783.15 एमटी गेहूं क्रय केंद्रों से उठ चुका है, लेकिन इसमें से काफी गेहूं गोदाम में नहीं पहुंच सका है। जिला खाद्य विपणन अधिकारी अशोक कुमार ने इस समस्या से डीएम को अवगत कराया था। डीएम की सख्ती के बाद स्टेट वेयरहाउस ने दो की जगह दो शिफ्ट में सात-सात गैंग लगाए हैं। एक गैंग में लगभग दस मजदूर होते हैं। तब जाकर उतरान में तेजी आई है। इसके बाद भी दर्जनों ट्रक गोदामों के बाहर खुले में खड़े हैं।