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मौका-ए-वारदात पर ढाई घंटे चली सीबीआइ की छानबीन

सीबीआइ ने घटनास्थल पर मृतका के स्वजन को बुलाकर घटना को समझा तफ्तीश पूरी होने पर हाथरस में रहेगा टीम का डेरा

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 02:12 AM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 02:12 AM (IST)
मौका-ए-वारदात पर ढाई घंटे  चली सीबीआइ की छानबीन
मौका-ए-वारदात पर ढाई घंटे चली सीबीआइ की छानबीन

जागरण संवाददाता, हाथरस : बूलगढ़ी मामले में सीबीआइ की टीम मंगलवार को पूरे एक्शन में दिखी। टीम ने बूलगढ़ी जाकर साढ़े चार घंटे तक पड़ताल की। गांव से 300 मीटर पहले मौका-ए-वारदात पर करीब ढाई घंटे तक बारीकी से छानबीन की। पहले तो खुद ही घटना के बारे में मौके पर जाकर समझा और फिर पीड़िता के भाई और फिर मां को बुलाकर उनसे घटना उनकी जुबानी बारीकी से जाना-समझा। इस दौरान बूलगढ़ी जाने वाले रास्ते को पुलिस ने करीब ढाई घंटे तक रोके रखा था।

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सीबीआइ टीम सुबह साढ़े 10 बजे तक बूलगढ़ी पहुंचकर जांच पड़ताल करने की जानकारी मिल रही थी। इसलिए मीडिया का जमावड़ा भी गांव में हो गया थी। पुलिस भी मुस्तैद हो गई थी। रोड की एक तरफ बाजरा का खेत है जहां घटना हुई थी, वहीं दूसरी तरफ पीली पट्टी लगाकर सभी को रोक दिया गया। वहीं से घटनाक्रम की कवरेज करने की छूट दी गई थी। रोड पर भी आवागमन बंद कर दिया गया था। मीडिया को सीबीआइ टीम ने मिलने की कतई अनुमति नहीं थी। साढ़े 11 बजे सीबीआइ टीम की करीब आठ गाड़ियां में घटनास्थल पर पहुंचीं। गाड़ियों से टीम के सभी सदस्य उतरे और पहले सड़क किनारे खड़े होकर मौका-ए-वारदात को देखा। यह समझने की कोशिश की कि सुबह के वक्त जिस सड़क पर रोजाना ही आवाजाही रहती है, वहां से वह घटनास्थल कितने कदम दूर है। सीबीआइ के अफसर पैदल ही उस स्थान पर गए जहां पीड़िता और कुछ कदम पर मां घास काटने की बात कह रही थी। सड़क से यह जगह करीब 50 मीटर ही दूर है। टीम के सदस्यों ने सही जानकारी करने के लिए पीड़िता के बड़े भाई को बुलाया और उससे करीब 40 मिनट तक पूरे घटनाक्रम को समझा। पूछा कि कैसे-कैसे क्या-क्या हुआ था। घटना के वक्त कौन-कौन मौजूद था। पूरे घटनाक्रम को बारी-बारी से समझा। इसके बाद करीब एक बजे जिला अस्पताल अपनी सेहत का परीक्षण कराकर एंबुलेंस से लौट रहीं पीड़िता की मां को बुलाकर उनसे घटना के बारे में मौका-ए-वारदात पर बुलाकर समझा। इस दौरान कई बार मीडिया ने टीम के करीब जाने की कोशिश की, मगर हर बार पुलिस ने रोक दिया। सीबीआइ के साथ सेंट्रल फोरेंसिक साइंस लैब की टीम भी थी। टीम ने अपने तरीके से घटना के साक्ष्य जुटाए। टीम के सदस्यों ने इस दौरान काफी देर तक आपस में घटना के बारे में चर्चा भी की और घटना के सच की छानबीन करते दिखे। खास बात यह थी कि सीबीआइ की टीमों के सदस्यों ने पीड़िता की मां और बेटे से बातचीत अलग-अलग की थी। तेज धूप और गर्मी में भी सीबीआइ के अफसर भी घटनास्थल पर बारीकियां जानने में जुटे रहे। जानने के दौरान माथे का पसीना पोंछते नजर आए। इस दौरान कई बार सीबीआइ टीम के अफसरों को पानी की बोतलें भिजवाई गईं।


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