अब जरूरतमंद महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहीं अनीता
सिलाई सीखकर आत्मनिर्भर बन रही हैं महिलाएं परिषदीय स्कूलों की ड्रेस बनाने का मिल रहा कार्य।
संवाद सूत्र, हाथरस : सासनी में आंखों में सुनहरे कल का सपना देखने वाली अनीता को ससुराल आकर निराश होना पड़ा। परिवार का बोझ बढ़ा तो पति की आमदनी भी कम पड़ने लगी। ऐसे हालात में अनीता ने पति की सहमति से सिलाई कढ़ाई का कार्य सीखकर उसे व्यवसाय के रूप में करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने सिलाई-कढ़ाई के कार्य से गरीब महिलाओं के जीवन में भी रंग भरना शुरू कर दिया।
स्वयं सहायता समूह का गठन
सासनी कस्बा की सिद्ध मढै़या निवासी अनीता का विवाह वर्ष 2003 में देव कुमार के साथ हो गया था। घर पर हो रहे सिलाई-कढ़ाई के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने विकास खंड अधिकारी के सहयोग से जय भवानी नाम से स्वयं सहायता समूह का गठन किया।
सरकारी योजना ने बदली तकदीर
सरकार द्वारा अधिकतर कार्य स्वयं सहायता समूह के माध्यम से कराने के आदेश सभी विभागों को दिए गए हैं। बेसिक स्कूलों में बच्चों के ड्रेस बनाने का कार्य में इन्हीं समूहों को देने को प्राथमिकता दी गई। ड्रेस का काम मिलते ही अनीता ने धीरे-धीरे करीब पचास महिलाओं को सिलाई का काम सिखाकर उन्हें रोजगार दिया। इनका कहना है
मेरा शुरू से सपना था कि में गरीब परिवारों के लिए कुछ करूं। मैंने गरीबी को करीब से देखा है। समूह के माध्यम से जरूरतमंद महिलाओं को सिलाई सिखाकर उन्हें आत्म निर्भर बनाने का प्रयास कर रही हूं। इससे मुझे खुशी मिलती है।
-अनीता, स्वयं सहायता समूह संचालिका