यादों में जिदा रहेंगे देश पर मर-मिटने वाले
-पुलिस स्मृति दिवस पर शहीद पुलिस कर्मियों को किया गया याद -शोक सत्र में शहीद पुलिस कर्मियों को दी गई श्रद्धांजलि
जागरण संवाददाता, हाथरस: पुलिस लाइंस में सोमवार को 60वां पुलिस स्मृति दिवस मनाया गया। देश की रक्षा की खातिर अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए शहीद हुए पुलिस कर्मियों को याद किया गया। उनकी वीर गाथा सुनाई गई। पिछले एक साल में प्रदेश के पांच पुलिस कर्मियों ने कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान दी है।
पुलिस स्मृति दिवस पर पुलिस लाइंस में सुबह आठ बजे कार्यक्रम की शुरुआत हुई। पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ शंकर मीना की मौजूदगी में शोक परेड हुई। इसके बाद वीर सपूतों को सलामी दी गई। स्मृति दिवस पर हर वर्ष बुकलेट छपती है, जिसमें पुलिस स्मृति व हर साल शहीद होने वाले पुलिस कर्मियों का विवरण होता है। एसपी ने ड्यूटी पर शहीद पुलिस कर्मियों के नाम पढ़कर सुनाए तथा उनकी वीर गाथा के बारे में बताया। सभी ने पुष्प अर्पित कर शहीदों को याद किया। पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ मीना ने बताया कि पुलिस स्मृति दिवस केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के उन 10 सिपाहियों की याद में मनाया जाता है, जो 21 अक्टूबर 1959 को लद्दाख के बर्फीले इलाके में शहीद हुए थे। चीनी सैनिकों ने लड़ाई के दौरान इन पर छल पूर्वक हमला किया था। इनकी शहादत के बाद से हर साल शहीद होने वाले पुलिस कर्मियों के परिवार को सम्मानित कर उन्हें याद किया जाता है। एसपी ने कहा कि पुलिस लोगों की सेवा में सदैव तत्पर है। समाज में शांति, सद्भाव व भाइचारे का वातावरण बनाना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि विपरीत परिस्थितियों में भी पुलिस कानून व्यवस्था बनाने में जुटी रहती है। एक सितंबर 2018 से 31 अगस्त 2019 तक पूरे प्रदेश में पांच पुलिस कर्मी शहीद हुए।
इस मौके पर एएसपी सिद्धार्थ वर्मा, सीओ सिटी रामशब्द, सीओ योगेश कुमार, सीओ राजीव कुमार, आरआइ सुरेशपाल सिंह व सभी थाना प्रभारी मौजूद रहे।
शासन ने बदला मानदंड : पुलिस स्मृति दिवस को लेकर शासन ने मानदंड बदले हैं। इस बार शहीद की श्रेणी में केवल उन्हीं पुलिस कर्मियों को रखा गया है, जो कि मुठभेड़ के दौरान अपराधियों से जद्दोजहद करते हुए मारे गए हैं। देश में पिछले एक साल में शहीद हुए पुलिस कर्मियों की संख्या 292 व प्रदेश में पांच पुलिस कर्मी शहीद हुए हैं। पिछले साल तक ड्यूटी के दौरान मारे गए सभी पुलिस कर्मियों को शहीद की श्रेणी में रखा जाता था। इस कारण पिछले साल प्रदेश में शहीदों की संख्या 67 व उससे पहले 2017 में 76 थी।