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शिक्षक ने जज्बे से बदली विद्यालय की सूरत

सासनी ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय गोहाना के सहायक अध्यापक की मेहनत रंग लाई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 06:18 AM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 06:18 AM (IST)
शिक्षक ने जज्बे से बदली विद्यालय की सूरत
शिक्षक ने जज्बे से बदली विद्यालय की सूरत

प्रमोद सिंह, हाथरस : अगर कुछ करने का जज्बा हो तो सफलता असंभव नहीं। हालात भले कैसे भी क्यों न हों। सासनी तहसील के गाव गोहाना स्थित प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक शैलेश बंसल ने कर दिखाया है। अलीगढ़ सीमा के लगते इस गाव के प्राथमिक विद्यालय की उन्होंने सूरत ही बदल दी है। करीब छह साल पहले जिस विद्यालय में किसी तरह की सुविधा नहीं थी और बच्चे भी जाने से डरते थे, वह अब मिसाल बना हुआ है।

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अलीगढ़ जिले के हरदुआगंज निवासी शैलेश बंसल ने जो सपना बचपन में देखा, वह 2015 में पूरा हुआ। बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक के पद पर सासनी ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय गोहाना में तैनाती मिली। तब यहां के हालात देख कुछ ही दिन में परेशान हो गए। गांव से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर जंगल में विद्यालय होने के कारण ग्रामीण अपने बच्चों को भेजने में कतराते थे। जंगली सूअरों का भय रहता था। बड़ी मुश्किल से नामांकन की संख्या 50 हो सकी थी। उसमें से भी सभी हर रोज नहीं आते थे। कभी-कभी तो दिनभर सहायक अध्यापक खाली बैठे रहते थे। इस समस्या का हल शैलेश बंसल ने खुद ही निकाला। वे गांव के अनेक लोगों से मिले। बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया। सुरक्षा का भरोसा दिया। ग्रामीणों के सहयोग से विद्यालय में सुविधाएं जुटाईं। विभाग से विद्यालय की बाउंड्रीवाल का निर्माण कराया। बच्चों की संख्या बढ़ने पर वर्ष 2019 में हेड शिक्षिका यशोधरा सिंह की नियुक्ति हुई। वर्तमान में 130 बच्चों का नामांकन है। कुछ माह पूर्व एक और शिक्षिका भूपेंदरी सिंह की तैनाती की गई है, लेकिन कमरों के अभाव के चलते बच्चों की संख्या बढ़ाने में अब शिक्षक भी कतरा रहे हैं।

हरियाली के लिए मिसाल

बच्चों की संख्या बढ़ाने के प्रयास के साथ ही शैलेश बंसल ने विद्यालय परिसर में करीब 70 पौधे नीम, पीपल, जामुन, शहतूत, केला, बेल, बरगद, शीशम, यूकेलिप्टस के लगाए हैं। इसके अलावा गेंदा, सूरजमुखी, गुलाब के साथ तुलसी के पौधे भी लगाए हैं। विद्यालय की छुट्टी होने के बाद पौधों को पानी देना उनकी दिनचर्या में शामिल है। वे हर रोज समय से पहले हरदुआगंज से विद्यालय आते हैं और देर शाम जाते हैं। वर्जन --

शैलेश बंसल के प्रयास सराहनीय हैं। विद्यालय में छात्र नामांकन अधिक है। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए अतिरिक्त कक्षा कक्ष बनवाने के लिए प्रयास किए जाएंगे।

डा. ऋचा गुप्ता, प्रभारी बीएसए। मेरे दो बेटे विद्यालय में पढ़ते हैं। पहले विद्यालय में सुरक्षा बंदोबस्त न होने के कारण डर लगता था। अब सुरक्षा के साथ बेहतर ज्ञान बच्चों को दिया जाता है।

शीलेंद्र कुमार, ग्रामीण मेरी बेटी कक्षा पांच में पढ़ती है। विद्यालय में अब पहले की अपेक्षा काफी बदलाव हो गया है। बेटी को विद्यालय भेजने में संकोच नहीं होता।

लक्ष्मी देवी, ग्रामीण


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