सपा-रालोद गठबंधन से बदलेंगे समीकरण
जाट बहुल विधानसभा क्षेत्र सादाबाद में रालोद का हो सकता है प्रत्याशी अन्य सीटों पर भी असर।
हिमांशु गुप्ता, हाथरस : विधानसभा चुनाव को लेकर माहौल बनने लगा है। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन लगभग तय माना जा रहा है। इससे जनपद में सियासी समीकरण भी बदलेगा। जाट बहुल सीट सादाबाद रालोद के कोटे में जा सकती है क्योंकि यहां से रालोद प्रत्याशी के मैदान में उतरने के कयास भी लग रहे हैं।
मिनी छपरौली कहे जाने वाले सादाबाद सीट पर इस समय सियासी सरगर्मी चरम पर है। सपा-रालोद के गठबंधन को लेकर दोनों दलों के दावेदार टिकट के लिए प्रयास में जुट गए हैं। यहां रालोद का पलड़ा भारी माना जा रहा है, जबकि सिकंदराराऊ और हाथरस सदर विधानसभा सीट से सपा प्रत्याशी को मैदान में उतारे जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि कुछ दिन में ही गठबंधन की तस्वीर साफ हो जाएगी।
सादाबाद में पिछले तीन दशक की बात करें तो रालोद तीन बार चुनाव जीत चुकी है, इसमें 2001 का उपचुनाव भी शामिल है। 2001 के उपचुनाव में रालोद से लहटू ताऊ विधायक बने थे। 1991 के बाद से अब तक भाजपा दो, जनता दल, सपा और बसपा के प्रत्याशी एक-एक बार ही जीत दर्ज कर सके हैं। भाजपा 1996 के बाद यहां जीत नहीं सकी है, वहीं रालोद 2007 के बाद यहां प्रत्याशी जिताने में नाकामयाब रही है। गठबंधन से गद्गद हैं दावेदार
सपा और रालोद के दावेदार गठबंधन को लेकर गद्गद दिख रहे हैं। सादाबाद में गठबंधन की स्थिति मजबूत दिख रही है। यहां जाट वोटरों की तादाद सबसे ज्यादा है। ब्राह्मण और मुस्लिम वोटरों की भी अच्छी खासी संख्या है। वैश्य, मुस्लिम समेत अन्य बिरादरी भी चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहती है। सभी दल जातीय गणित बैठाने में जुटे हैं। हाथरस सदर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और गठबंधन प्रत्याशी के बीच दिलचस्प मुकाबले के आसार हैं। यहां भी करीब 25 हजार जाट वोटर हैं। गठबंधन का असर इस सीट पर भी पड़ सकता है। सादाबाद के लिए भाजपा में मंथन
पिछले विधानसभा चुनाव में बसपा से रामवीर उपाध्याय सादाबाद सीट पर चुनाव जीते थे। फिलहाल वह पार्टी से निलंबित चल रहे हैं। उनके भाजपा में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं बसपा ने इस बार सादाबाद सीट पर डा. अविन शर्मा पर दांव खेला है। गठबंधन के कयासों के बीच भाजपा जातीय समीकरण साधने में जुटी है। रामवीर उपाध्याय या उनके परिवार के ही किसी सदस्य को उम्मीदवार बनाए जाने के कयास लगाए जा रहे हैं। वहीं तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद भाजपा जाट प्रत्याशी को भी मैदान में उतार सकती है।
सादाबाद में तीन दशक में जीते प्रत्याशी
वर्ष, विजेता, पार्टी
1991, विजेंद्र सिंह, भाजपा
1992, विशंभर सिंह, जनता दल
1996, विशंभर सिंह, भाजपा
2001, लहटू ताऊ, रालोद
2002, प्रताप चौधरी, रालोद
2007, डा. अनिल चौधरी, रालोद
2012, देवेंद्र अग्रवाल, सपा
2017, रामवीर उपाध्याय, बसपा
--- हाथरस सदर पर तीन दशक में जीते प्रत्याशी
1991, रामसरन सिंह, जनता दल
1993, राजवीर पहलवान, भाजपा
1996, रामवीर उपाध्याय, बसपा
2002, रामवीर उपाध्याय, बसपा
2007, रामवीर उपाध्याय, बसपा
2012, गेंदालाल चौधरी, बसपा
2017, हरीशंकर माहौर, भाजपा