अंतिम संस्कार को हुआ चंदा, बेटियों ने पिता की अर्थी को दिया कंधा
सामाजिक परंपरा के अनुसार आज भी कुछ कार्य ऐसे हैं जो सिर्फ बेटे करते हैं लेकिन परिवारों के हालात के चलते उन घरों के लिए ऐसी परंपराएं समय-समय पर टूटती नजर आ जी आती हैं।
हाथरस : सामाजिक परंपरा के अनुसार आज भी कुछ कार्य ऐसे हैं जो सिर्फ बेटे करते हैं, लेकिन परिवारों के हालात के चलते उन घरों के लिए ऐसी परंपराएं समय-समय पर टूटती नजर आ जी आती हैं। ऐसा ही मामला तहसील क्षेत्र के गांव नगला मदारी में देखने को मिला। यहां पुत्र न होने की दशा में बेटियों ने अर्थी को कंधा देकर पिता की अर्थी को श्मशान घाट पहुंचाया। भतीजे ने मुखाग्नि दी।
बिसावर पंचायत के गांव नगला मदारी निवासी 65 वर्षीय मानिक चंद मकान न होने की स्थिति में टीन शेड में रहने को मजबूर थे। उनकी चार पुत्रियां थीं, जिनमें एक की मौत हो गई थी। पिछले साल ग्रामीणों ने मिलकर उनकी दो पुत्रियों सोनिया और भारती की शादी प्रेमनगर जिला मथुरा में करा दी थी। कुछ दिन बाद किसी बात को लेकर ससुराल से अपने मायके आ गई और अपने पिता के साथ रहने लगीं। 10 वर्षीय पुत्री आरती अपने पिता की देखभाल करती थी। तीनों बहन मजदूरी कर अपना पेट पाल रही थी। मानिक चंद मेहनत मजदूरी कर अपने तीनों पुत्रियों का भरण पोषण कर रहे थे। चार दिन पहले उन्हें सांस लेने में काफी तकलीफ हुई। बुधवार सुबह मानिक चंद ने इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। परिवार की स्थिति यह रही कि बेटियों के पास अपने पिता का अंतिम संस्कार के लिए रुपये भी नहीं थे। उस स्थिति में ग्रामीणों ने चंदा कर उनका अंतिम संस्कार कराया। उनकी अर्थी को दोनों बेटियां कंधा देते हुए आगे चल रही थीं, जिनको देखकर लोग भावुक हो रहे थे।