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मजबूत होगी भविष्य की नींव और हुनरमंद होगी युवा पीढ़ी

नई शिक्षा नीति व शैक्षिक ढांचे पर दैनिक जागरण की वेबिनार शिक्षाविदों ने विचार के साथ सुझाव भी किए साझा

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 12:44 AM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 12:44 AM (IST)
मजबूत होगी भविष्य की नींव  और हुनरमंद होगी युवा पीढ़ी
मजबूत होगी भविष्य की नींव और हुनरमंद होगी युवा पीढ़ी

जासं, हाथरस : देश की शिक्षा नीति में सरकार बदलाव करने जा रही है। केंद्रीय कैबिनेट ने मसौदा स्वीकार कर लिया है। देश में जो मौजूदा शैक्षिक ढांचा है, उसपर नई नीति लागू करने में किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, उनसे कैसे निपटेंगे और बदलाव के फायदों पर दैनिक जागरण ने रविवार को वेबिनार में शिक्षाविदों से परिचर्चा की। परिचर्चा के दौरान सकारात्मक विचार सामने आए। नई शिक्षा नीति को आने वाली पीढ़ी के लिए बेहद लाभदायक बताया गया। कहा गया कि बेसिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक में बदलाव कर भविष्य की नींव को मजबूत करने के साथ युवा पीढ़ी को रोजगारपरक शिक्षा देकर उसे हुनरमंद बनाने की कोशिश की जा रही है। इससे सरकारी नौकरी के पीछे भागने की होड़ भी थमेगी। बोले शिक्षाविद

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गरीब बच्चों को खाने व किताब के साथ ऑनलाइन शिक्षा के लिए मोबाइल व डाटा भी फ्री दिलवाया जाए। अच्छी शिक्षा के लिए वित्तविहीन स्कूल व महाविद्यालयों पर निगरानी जरूरी है। वहां पर योग्य शिक्षकों का अभाव है। इससे शैक्षिक स्तर नहीं सुधारा जा सकता।

सुभाषचंद्र शर्मा, सेवानिवृत्त शिक्षक बेसिक शिक्षा मातृभाषा में होने से आने वाली पीढ़ी मुख्य धारा से जुड़ेगी। योग्य शिक्षक ही टिक पाएंगे। रोजगार परक शिक्षा से कौशल विकास होगा और युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। ग्रेजुएशन करने वालों का कोई साल बेकार नहीं जाएगा।

-मनीष अग्रवाल, शिक्षक शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से छुटकारा मिलेगा। नई शिक्षा नीति में निगरानी के लिए जो नियामक बनाए गए हैं, उनमें सामंजस्य बैठाया जाना जरूरी है। अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म होने से काफी लाभ मिलेगा। रटने वाली पढ़ाई खत्म होगी। शिक्षक व अभिभावक की प्रतिबद्धता बढ़ेगी।

-मनोज शर्मा, प्रवक्ता निजी स्कूलों पर निगरानी के लिए सरकारी कंट्रोलर जरूरी है। बेसिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक जिन स्कूल व कॉलेजों में शिक्षकों की कमी है, वह पूरी की जाए। बच्चों की स्वतंत्रता को खत्म नहीं करना चाहिए। साथ ही उन पर क्लास वर्क और होमवर्क का बोझ कम होना चाहिए।

-आशीष दुबे, शिक्षक नई नीति से वित्त पोषित विद्यालयों की मनमानी नहीं चलेगी। मातृभाषा की अनिवार्यता कक्षा आठ तक लागू होनी चाहिए। मुख्य विषय के अलावा वैकल्पिक विषयों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों की कमी पूरी होनी चाहिए। गरीब बच्चों की पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए फीस के ढांचे को भी ध्यान में रखें।

-वीरेंद्र सिंह, प्रवक्ता नई शिक्षा नीति की सबसे अच्छी बात मातृभाषा में पढ़ाई है। विषय बदलने का विकल्प होने से विद्यार्थियों को सहूलियत होगी। व्यावसायिक शिक्षा होने से युवा हुनरमंद होंगे। वे आत्मनिर्भर हो सकेंगे। नई नीति को कड़ाई से लागू करना चाहिए। इसमें मनमानी को रोकना चाहिए और किसी का दखल न हो।

-डॉ. राजीव अग्रवाल, प्रवक्ता मूल्यवान शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा भी जरूरी है। विद्यार्थियों को किताबी कीड़ा न बनाएं। उनके कौशल विकास पर जोर दिया जाए। नई शिक्षा नीति से रोजगार परक शिक्षा मिलने से आने वाली पीढ़ी को लाभ मिलेगा। नई नीति के सफल क्रियान्वयन में शिक्षकों, छात्र व अभिभावकों का सहयोग जरूरी है।

-डॉ. जगदीश शर्मा, प्रवक्ता वेबिनार में आए सुझाव

-नीतियों का क्रियान्वयन ईमानदारी से हो।

-विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पूरा करें।

-प्राइवेट स्कूलों र निगरानी के लिए कंट्रोलर बैठाएं।

-शिक्षा नीति को कड़ाई से लागू किया जाएं।


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