नुकसान पहुंचा रहे गोवंश मंडी से बाहर होंगे
सुरक्षा व्यवस्था के अभाव में मंडी के अंदर घुसते हैं बेसहारा मवेशियों के झुंड।
संवाद सहयोगी, हाथरस : मंडी समिति में अव्यवस्थाएं कम नहीं हो रही हैं। बेसहारा जानवरों के विचरण करने से प्रतिवर्ष हजारों रुपये का अनाज, सब्जी व फल आदि बर्बाद हो जाते हैं। इसे देखते हुए मंडी प्रशासन बेसहारा जानवरों को मंडी से बाहर करने का निर्णय लिया है।
अलीगढ़ रोड स्थित मंडी समिति में इन दिनों धान व कपास से मंडी अटी पड़ी है। इनको रखने का कोई इंतजाम नहीं होने से उसे सड़कों पर डालकर उनकी तौल की जा रही है। मंडी में विचरण करने वाले बेसहारा जानवर खुले में पड़ी कृषि उपज को नुकसान पहुंचाते रहते हैं। यह पशु मंडी में प्रवेश द्वारों से अंदर घुसते हैं। वहीं पीछे की टूटी पड़ी दीवारों से भी पशुओं का आवागमन बना रहता है। इससे मंडी में किसान ही नहीं व्यापारी भी परेशान हैं। मंडी सचिव यशपाल सिंह का कहना है कि मंडी में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए चौकीदार तैनात हैं। कृषि उपज को नुकसान पहुंचाने वाले पशुओं को जल्द बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा। गेटों पर भी सुरक्षा बढ़ाई जा रही है। किसान व व्यापारियों का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। सुरक्षा के नहीं इंतजाम
मंडी में बेसहारा जानवरों की रोकथाम का कोई इंतजाम नहीं है। वे मंडी परिसर में खुले में पड़ी कृषि उपज को नुकसान पहुंचा रहे हैं। टीनशेड भी क्षतिग्रस्त होने से वहां भी किसानों की कृषि उपज सुरक्षित नहीं है। जानवरों के अलावा बंदरों का बहुत आतंक है। वे बोराबंद कृषि उपज को बोरा फाड़कर नुकसान पहुंचाते हैं। कृषि उपज को बचाने के लिए किसानों व व्यापारियों को खुद सतर्क रहना पड़ता है। प्रतिवर्ष नष्ट हो जाती है
हजारों की कृषि उपज
गल्ला मंडी में दलहन, तिलहन, कपास व अनाज आदि आता है। वहीं सब्जी मंडी में हरी सब्जियों के अलावा सेब, अमरूद, केला व अन्य फल आते हैं। इन्हें मंडी में झुंड के रूप में घूमने वाले बेसहारा पशु व बंदर नुकसान पहुंचाते रहते हैं। इससे प्रतिवर्ष हजारों रुपये की कृषि उपज बर्बाद हो रही हैं। इनका कहना है
मंडी में गोवंश व अन्य जानवर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे फसल लाने वाले किसानों को बहुत नुकसान पहुंच रहा है।
-प्रवेश कुमार, किसान मंडी में सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। खुले में रखे सामान को बेसहारा जानवर काफी नुकसान पहुंचाते हैं। इससे किसान परेशान हैं।
-मुकेश कुमार, किसान