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विविधता के सम्मान और एकता से मजबूत होता है देश

फोटो- 18 धर्म में विविधता लक्ष्य में एकता

By JagranEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 01:29 AM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 01:29 AM (IST)
विविधता के सम्मान और एकता से मजबूत होता है देश
विविधता के सम्मान और एकता से मजबूत होता है देश

विविधता और सहिष्णुता भारत के महत्वपूर्ण मूल्य हैं। इन मूल्यबोधों की अवमानना किसी भी भारतीय नागरिक को नहीं करनी चाहिए। हमें इन्हें कभी भूलना भी नहीं चाहिए। जब भी हम एक मजबूत देश या राष्ट्रहित की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में शायद एक ही बात आती है कि देश फौज की ताकत से मजबूत होता है, जबकि ऐसा नहीं है। देश मजबूत होता है विविधता के सम्मान से और अपनी अंदरूनी एकता की ताकत से।

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धर्म में विविधता, लक्ष्य में एकता :

भारत विविधता में एकता का विशाल देश है। विश्व गुरु का गौरव भी भारतवर्ष को मिला है। यहां के लोग स्वभाव से ही भगवान से डरने वाले होते हैं। आत्मा की शुद्धि, पुनर्जन्म, मोक्ष, स्वर्ग और नरक में भरोसा रखते हैं। किसी धर्म के लोगों को बिना हानि पहुंचाए बेहद शांतिपूर्ण तरीके से लोग अपने त्योहार मनाते है। होली, दीपावली, ईद, क्रिसमस, गुड फ्राइडे, महावीर जयंती, बुद्ध जयंती आदि कार्यक्रमों में हर धर्म के लोग शिरकत कर बधाई देते, खुशियां साझा करते। मानव का अस्तित्व एक दूसरे के धर्म और भावनाओं के सम्मान पर निर्भर करता है। विश्व में अन्य कोई भी देश भारत जैसी मिसाल पेश कर नहीं कर सकता।

विविधता में एकता की नजीर :

भारतमाता को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए देश के सभी धर्म के लोगों ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ी। विविधता में एकता का इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता। अमर शहीद पंडित राम प्रसाद बिस्मिल पक्के आर्य समाजी थे। अमर शहीद अशफाक उल्ला खां उनके उतने सच्चे दोस्त। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में मौलवी अहमद उल्ला शाह ने अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका। हिदू, सिख उनके साथ थे। स्वतंत्रता आंदोलन विविधता में एकता का बेहतरीन उदाहरण है। भारत, विविधता में एकता की पहचान ही नहीं पर्याय है। हर कोई इसका सम्मान करता है। प्यार और समरसता के साथ रहना ही जीवन का सार है।

प्रकृति भी देती है संदेश :

प्रकृति भी हमें विविधता में एकता की सीख देती है। जल चर, नभ चर, थल चर सभी तरह के जीव विविध होते हुए भी एक समुदाय, पारिस्थितिकीय तंत्र में रहते है। रंग, रूप, स्वभाव व जींस में भिन्न होने के बावजूद विविधता में एकता प्रकृति की पहचान है। तालाब, पोखर, झरना, नदी, समुद्र भी अलग है, लेकिन सभी का चक्र एक है। वानस्पतिक जगत में भी ऐसा ही है। वन और उपवन में भी विविध रंग रूप के पेड़-पौधे होते, सभी को मिलाने पर ही शोभा बढ़ती व बनती है।

भाषा में विविधता, भाव में एकता : भारतीय संस्कृति को विविधताओं की संस्कृति कहा जाता है। मान्यता है कि हर 12 कोस करीब 35 किमी पर भाषा बदल जाती है। तमाम प्रांतों की भाषाएं भी अलग है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड समेत उत्तर भारत में जहां हिदी भाषी की बहुलता है, वहीं दक्षिण भारत में कन्नड़, मलयालम, तमिल आदि भाषाओं को महत्व दिया जाता है। क्षेत्रीय भाषाओं का भी बड़ा महत्व है। इसके बावजूद भारतीय संस्कृति सभ्यता हर किसी में रची, बसी है। भाव भी सभी देशवासियों का समान है।

मोती भिन्न, माला अभिन्न : भारत में हिदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, पारसी समेत विविध धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। सभी अपने मत के अनुसार तीज त्योहार मनाते हैं। शादी-ब्याह करते हैं लेकिन, देश की बात आने पर सभी एक हो जाते हैं। देश, समाज की प्रगति में भी सभी समान रूप से हाथ बंटाते हैं। हम कह सकते हैं कि भारत एक माला की तरह है, जिसमें विविध धर्म, जाति, समुदाय, रंग, रूप के लोगों के मोती पिरोए गए हैं। माला में सपंर्क में रहने तक मोती का बड़ा महत्व रहता है। माला से अलग हो जाने पर मोती टूटकर बिखर जाते हैं। हमें माला को टूटने नहीं देना है। विविधता में एकता को मजबूत बनाकर देश को फिर से विश्वगुरु बनाने का संकल्प लेना चाहिए।

-विकास सिंह, प्रधानाचार्य, यूनियन पब्लिक स्कूल, सासनी


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