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ड्रैगन से दबे मूंगा-मोती फिर चमकेंगे

चीन से तनातनी के बाद जनपद के कारोबारियों में जागी उम्मीद धंधे का फंडा एंटीडंपिग ड्यूटी और तकनीकी सहयोग का बूस्टर चाहते हैं उद्यमी अमेरिका और यूरोप सहित कई देशों में होता रहा है मूंगा-मोती का निर्यात इन्फो- 500 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार हुआ करता था 5000 परिवारों को मिलता था मूंगा-मोती से रोजगार 50 वर्ग किमी के दायरे में घर-घर होता रहा है काम

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Jul 2020 12:41 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jul 2020 06:01 AM (IST)
ड्रैगन से दबे मूंगा-मोती फिर चमकेंगे
ड्रैगन से दबे मूंगा-मोती फिर चमकेंगे

केसी दरगड़, हाथरस : चीन में तैयार मूंगा-मोती की चमक से दबे पड़े हाथरस के मूंगा-मोती उद्योग में चीन से तनातनी के बाद उत्साह नजर आ रहा है। मेक इन इंडिया व आत्मनिर्भर भारत के नारे ने उद्यमियों में नया जोश भरा है। उद्यमियों की उम्मीद तभी पूरी होगी, जब चाइना से आने वाले माल पर एंटी डंपिग ड्यूटी लगे और सरकार से तकनीकी सहयोग का बूस्टर मिले। यहां हुनर और गुणवत्ता की कमी नहीं है। पांच सौ करोड़ रुपये सालाना टर्न ओवर वाले इस उद्योग से सरकार का भी राजस्व बढ़ेगा।

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वक्त की मार से ठंडी हुईं भट्ठियां

जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर कस्बा पुरदिलनगर मूंगा-मोती के उत्पादन में जाना जाता है। कस्बे के आसपास के 50 किलोमीटर के दायरे में पांच हजार परिवारों की इसी से रोजी रोटी चल रही थी। 300 फैक्ट्रियों से हर साल पांच सौ करोड़ का कारोबार था, मगर चाइना की घुसपैठ ने इस कारोबार की कमर तोड़ दी।

तमाम उद्यमी कपड़ा और किराना बेचने लगे और कुछ पलायन भी कर गए। अब सिर्फ 25 भट्ठियां रह गई हैं। कारोबार भी सिमटकर 50 करोड़ रुपेय सालाना का रह गया। पहले टैक्स नहीं था, अब पांच फीसद जीएसटी लग गया। याद आई सुनहरे पलों की

अमेरिका और यूरोप के देशों में निर्यात होने वाले मूंगा-मोतियों की चमक चाइना से टकराव के बाद बढ़ती दिख रही है। उद्यमियों का कहना है कि हमारे कारीगरों के हुनर व उत्पाद गुणवत्ता में कम नहीं हैं। चाइना से आने वाला माल सस्ता होने के कारण यहां के माल पर भारी पड़ रहा है। सरकार विदेशी माल पर टैक्स बढ़ाए और यहां के व्यापारियों का दर्द सुने। कच्चा माल के रूप में कांच की रॉड व दाने की जरूरत पड़ती है। दिक्कतें

केरोसिन की नहीं हो रही है आपूर्ति। डीजल की तरह इसकी खुली बिक्री हो।

पांच फीसद जीएसटी लगाने से महंगा पड़ रहा यहां का उत्पाद।

एंटी डंपिग ड्यूटी नहीं लगाने से चीनी माल सस्ता है, सरकार से नहीं मिल रहा तकनीकी सहयोग। बोले उद्यमी

चीन से तनातनी के बाद उम्मीद जागी हैं। भट्ठियों को चलाने के लिए केरोसिन की उपलब्धता डीजल की खुली बिक्री की तरह कराई जाए। बिना केरोसिन के काम नहीं चलेगा। पांच फीसद लगाई गई जीएसटी भी समाप्त हो। उद्योगों को अपग्रेड किया जाए।

-ओमप्रकाश गुप्ता, अध्यक्ष व्यापार मंडल पुरदिलनगर। चाइना से आने वाले माल पर एंटी डंपिग ड्यूटी लगाई जाए और सरकार से तकनीकी सहयोग मिले तभी चाइना को मात दे सकते हैं। वित्तमंत्री को यहां के उद्यमियों से मिलने के लिए समय देना चाहिए, उनकी मांगों को लालफीताशाही का शिकार न बनाएं।

-कमल जाखेटिया, महामंत्री व्यापार मंडल पुरदिलनगर। चीन से टकराव के कारण उद्यमियों को अच्छे दिन की आस बढ़ी है। चाइना का विकल्प लाने और सुनहरे दिनों को वापस लाने के लिए बुनियादी ढांचा मजबूत होना चाहिए। कुछ लोग ऐसे हैं जो सस्ता माल लाकर डंप कर रहे हैं। इसलिए ड्यूटी बढ़ाना जरूरी है।

डॉ. श्रीकांत त्रिवेदी, उद्यमी पुरदिलनगर। आज भी पुरदिलनगर में पुराने तरीके से भट्ठियों पर काम होता है। अब दौर बदल चुका है। कारोबारी मशीनों को अपग्रेड करना चाहते हैं, इसके लिए सरकार से सहयोग की आस है। सरकार मदद करे तो यह कारोबार और वृहद होगा।

-राधेश्याम चेचाड़ी, कारोबारी।


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