बुरी नजर वालों ने पोखर पाट डाला
सिकंदराराऊ में पोखरों पर कब्जा करके बना दी गई कालोनी, प्रशासन तमाशबीन
विनय चतुर्वेदी, हाथरस : जीवन के लिए सबसे बड़ी जरूरत जल है मगर प्राकृतिक और कृत्रिम जलश्रोतों पर ऐसी कुदृष्टि पड़ी कि नगर की तमाम पोखरों को पाटकर कॉलोनी बना ली गई। इसके चलते शहरी क्षेत्र की तमाम पोखरें विलुप्त हो गईं। जो बची भी हैं वे अतिक्रमण के कारण अट चुकी है। सिकंदराराऊ कस्बे में एक दशक पहले आधा दर्जन से अधिक पोखरें थीं। इसमें बरसात का पानी एकत्रित होता था, जिससे भूजल स्तर में भी सुधार होता था। इससे पशु-पक्षियों को आसानी से पीने के लिए पानी मिल जाता था। पोखरों की दयनीय हालत को सुधारने के लिए ²ढ़ संकल्पित होकर आगे आने की जरूरत है। दैनिक जागरण के अभियान की दूसरी कड़ी में सिकंदराराऊ के जलश्रोतों की पड़ताल।
दयनीय हालत
पुरानी तहसील रोड स्थित बीआरसी के सामने से शुरू होने वाला तालाब 500 मीटर से अधिक की दूरी पर कासगंज रोड तक मिला रहता था। दूसरा तालाब जीटी रोड पर भी था जो अब पूरी तरह पट चुका है। जैसे-जैसे आबादी बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे तालाब सिकुड़ते जा रहे हैं। वहीं राम बाग मंदिर से जुड़ा एक तालाब था जहां रामलीला के दौरान सरयू पार की लीला का मंचन होता था। आज उस तालाब का वहां नामोनिशान भी नहीं रहा। गिरते जल स्तर का दूसरा कारण यह भी है। एक समय था जब घर में सबमर्सिबल पम्प की आवश्यकता नहीं पड़ती थी। आज ज्यादातर घरों में सबमर्सिबल पम्प लग चुके हैं, जिनसे बिना जरूरत के भी जल का दोहन होता है। जलाशयों की दयनीय स्थिति को सुधारने के लिए बातें तो होती हैं लेकिन जमीनी स्तर पर कोई बड़ा प्रयास होता दिखाई नहीं देता है। इसी लिए जलाशय दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। नगर पालिका इन तालाबों के संरक्षण एवं सुंदरीकरण की बात कहती है मगर जमीन पर कोई काम होता दिखाई नहीं देता।
पब्लिक की पीड़ा
जो पोखरें अभी भी बची हुई हैं उन के संरक्षण की आवश्यकता है। पोखरों पर अवैध कब्जों को रोकने के लिए शासन और प्रशासन को और सख्ती से काम लेना चाहिए।
विशाल वाष्र्णेय
पालिका द्वारा जल निकासी की व्यवस्था करानी चाहिए। बारिश का पानी सीधे तालाब तक पहुंचेगा तभी तालाब अपने सही स्वरूप को बरकरार रख पाएंगे। तालाबों का सुंदरीकरण कराया जाना चाहिए। ताकि लोग वहां पहुंचें।
राजीव वाष्र्णेय जल जीवन के लिए सबसे जरूरी है। वास्तव में स्थानीय नागरिकों में जल संरक्षण के बारे में जागरूकता का न होना तालाबों के न रहने का प्रमुख कारण है। हमें तालाब एवं पोखरों के संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए।
-धर्मेन्द्र शर्मा
तालाबों का तो इतिहास में भी बड़ा महत्व रहा है। तालाबों के खत्म होने से बडा नुकसान हो रहा है। जल स्तर पिछले एक दशक से बड़ी तेजी से नीचे जा रहा है। यही हाल रहा तो दस वर्ष बाद पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं हो सकेगा।
रितिक गुप्ता
सिस्टम की सुनो
तालाबों के सुंदरीकरण के लिए डीपीआर तैयार कराई जा रही है। जल्द ही नगर पालिका की सीमा में आने वाले तालाबों का सुंदरीकरण कराया जायेगा। नजूल की भूमि पर किसी को अवैध कब्जा नहीं करने दिया जायेगा।
-डॉ. ब्रजेश कुमार, अधिशासी अधिकारी तालाब का सुंदरीकरण पहली प्राथमिकता है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कराकर शासन को भेजा जाएगा, ताकि शीघ्र ही तालाब बेहतर नजर आ सकें।
-सरोज देवी, पालिकाध्यक्ष सिकंदराराऊ