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स्वामी विवेकानंद को भूला हाथरस स्टेशन

स्वामी विवेकानंद की जयंती पर विशेष जन्म-12 जनवरी 1863 अवसान- 04 जुलाई 1902 वृंदावन से लौटते समय वर्ष 1888 में हाथरस रुके थे स्वामी विवेकानंद ब्लर्ब- स्वामीजी के कहने पर तत्कालीन स्टेशन मास्टर ने कुलियों से मांगी थी भिक्षा

By JagranEdited By: Published: Sat, 12 Jan 2019 08:19 AM (IST)Updated: Sat, 12 Jan 2019 08:19 AM (IST)
स्वामी विवेकानंद को भूला हाथरस स्टेशन
स्वामी विवेकानंद को भूला हाथरस स्टेशन

आकाशदीप भारद्वाज, हाथरस : 'उठो जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए', युवाओं को ऐसा महान संदेश देने वाले युवाओं के प्रेरणाश्रोत स्वामी विवेकानंद का हाथरस से भी गहरा नाता रहा है। अपनी भारतयात्रा के दौरान उन्होंने वृंदावन से लौटते समय हाथरस में एक वृक्ष के नीचे रात्रि प्रवास किया और हाथरस के उस समय के स्टेशन मास्टर सदानंद को अपना पहला शिष्य बनाया था। सदानंद को शिष्य बनाने से पहले उन्होंने कठिन परीक्षा भी ली। परीक्षा के रूप में स्टेशन मास्टर को अपने ही स्टेशन पर कुलियों से भिक्षा मांगने को कहा। जब सहज भाव से स्टेशन मास्टर ने कुलियों से भिक्षा मांगकर स्वामीजी को दिखाया तब उन्होंने स्टेशन मास्टर को दीक्षा दी और स्टेशन मास्टर दीक्षा के बाद से ही त्यागपत्र देकर कमंडल और गेरुआ वस्त्र धारण कर उनके साथ ही भारत यात्रा पर चल दिए।

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इतिहास के पन्नों में दर्ज स्वामी विवेकानंद का यह किस्सा उनसे जुड़ी कई किताबों में आज भी जीवित है, लेकिन हाथरस सिटी स्टेशन पर उनसे जुड़ा कोई संस्मरण नहीं सहेजा गया है। इसे स्टेशन का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि इतने बड़े संत के जीवन से जुड़ी कृतियों को रेलवे के अफसर यहां आने वाले यात्रियों को बताने में असमर्थ हैं। किताबों में दर्ज इस संस्मरण को स्टेशन के इतिहास से जोड़कर यात्रियों को बताने की रेलवे ने कभी कोशिश भी नहीं की, जबकि जिला प्रशासन की वेबसाइट पर जनपद के इतिहास में इन सभी बातों का जिक्र है। इस इतिहास में एक शिलालेख स्टेशन पर होने का भी दावा है, लेकिन शुक्रवार को दैनिक जागरण ने इसकी पड़ताल की तो उनसे जुड़ा कोई शिलालेख स्टेशन पर नहीं मिला। इससे पूर्व स्टेशन के जीर्णोद्धार के समय पहले भी इतिहास से छेड़छाड़ करते हुए काका हाथरसी के इतिहास से जुड़े शिलालेख को मिटाने का प्रयास किया गया, जिसे काफी हंगामे के बाद स्टेशन पर लगाया गया। ज्वर से पीड़ित होने पर

हाथरस रुके थे स्वामी

हाथरस के तत्कालीन स्टेशन मास्टर का मूल नाम शरतचंद्र गुप्ता था। दीक्षा के बाद स्वामी विवेकानंद ने ही स्टेशन मास्टर का नाम सदानंद रखा। यहां से वह सदानंद को साथ लेकर ऋषिकेश गए। वहां वह बुखार में पीड़ित होने पर हाथरस लौट आए। यहां एक दिन प्रवास करने के बाद वह फिर से बनारस की ओर चल दिए। स्वामी विवेकानंद की फिल्म में

भी है हाथरस स्टेशन का जिक्र

12 जून 1998 को रिलीज हुई चार घंटे की फिल्म 'स्वामी विवेकानंद' में भी हाथरस स्टेशन व यहां के तत्कालीन स्टेशन मास्टर का जिक्र है। इस फिल्म में धार्मिक सीरियल श्रीकृष्णा में कृष्ण की भूमिका निभाने वाले सर्वदमन बनर्जी ने स्वामी विवेकानंद का रोल निभाया था। यह फिल्म भारत समेत विदेशों में पंसद की गई।

'विवेकानंद के नाम पर

हो हाथरस का स्टेशन'

हाथरस सिटी स्टेशन का नाम बदलकर स्वामी विवेकानंद स्टेशन रखने को लेकर सांसद राजेश दिवाकर ने भी रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखा है। सांसद दिवाकर ने शनिवार को फोन पर हुई वार्ता में दैनिक जागरण को बताया कि उन्होंने हाथरस सिटी स्टेशन का नाम स्वामी विवेकानंद के नाम पर रखने के लिए पत्र तैयार कर लिया है, जिसे स्वयं वह रेल मंत्री से मुलाकात कर शनिवार को देंगे। गौर हो कि कुछ दिन पहले सांसद ने मुरसान स्टेशन का नाम राजा महेंद्र प्रताप के नाम से करने की मांग लोकसभा में उठाई थी।


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