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गठबंधन से हाथरस सीट पर बढ़ा सस्पेंस

माया-अखिलेश को सुनने के लिए टीवी से चिपके रहे समर्थक, सियासी कयास शुरू सियासी करवट -सपाइयों और बसपाइयों ने मिठाई बांटकर जताई गठबंधन की खुशी

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 06:25 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 06:25 AM (IST)
गठबंधन से हाथरस सीट पर बढ़ा सस्पेंस
गठबंधन से हाथरस सीट पर बढ़ा सस्पेंस

जागरण संवाददाता, हाथरस : यूपी की सियासत में 25 साल बाद फिर से सपा और बसपा में गठबंधन से जिले में सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। गठबंधन की चर्चा तो शुरू से ही थी, लेकिन हाथरस लोकसभा सीट किसके खाते में जाएगी, इस पर अभी सस्पेंस बरकरार है। जहां बसपा-सपा की बराबर की दावेदारी मानी जा रही है, वहीं जाट बड़ी संख्या में जाट वोटर होने से लोकसभा चुनाव में रालोद का उम्मीदवार खड़ा करने की चर्चाएं भी सियासी गलियारों में तेजी से हैं। हालांकि यह तस्वीर जल्द ही साफ होने की उम्मीद भी जताई जा रही है। शनिवार को लोग मायावती और अखिलेश यादव की प्रेस कांफ्रेंस को लेकर टीवी पर चिपके दिखाई दिए। सपा का दावा :

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पिछले लोक सभा चुनाव में बसपा के मनोज सोनी दूसरे नंबर पर थे। इसी को देखते ही शुरू में यह सीट बसपा के खाते में जाती दिखाई दे रही थी। डेढ़ महीने पहले मनोज सोनी को आगरा से लोकसभा क्षेत्र प्रभारी घोषित किए जाने के बाद जिले के समीकरण में बदलाव दिखाई दिया। राजनीतिक जानकारों में तेजी से चर्चा है कि मनोज सोनी आगरा से ही बसपा के प्रत्याशी होंगे और यह सीट सपा के खाते में जा सकती है। वहीं पिछले कुछ माह से सपा की सक्रियता भी क्षेत्र में बढ़ी है। हाल ही में लावारिस पशुओं के मुद्दे पर सपा के वरिष्ठ नेता की अगुवाई में बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ कलक्ट्रेट का घेराव किया गया था। इससे यह भी माना जा रहा है कि सपा के इन्हीं नेताजी को हाथरस से प्रत्याशी बनाने की तैयारी है। बसपा से बड़ा चेहरा :

सियासी गलियारों में इसकी भी चर्चाएं हैं कि बसपा हाथरस को सुरक्षित सीट मानकर चल रही है। ऐसे में यहां से कोई बड़ा चेहरा मैदान में उतर सकता है। माना जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती का बेहद करीबी यहां से चुनाव लड़ सकता है। रालोद का भी दावा :

हाथरस लोकसभा क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा क्षेत्र हैं जिनमें तीन विधानसभा क्षेत्र सादाबाद, इगलास और सदर जाट बाहुल्य हैं। वर्ष 2009 में भाजपा गठबंधन के साथ रालोद प्रत्याशी सारिका ¨सह बघेल यहां से चुनाव भी जीती थीं। राजनीतिक गलियारों में रालोद, अखिलेश यादव के संपर्क में है और पांच से छह सीटों की डिमांड कर रही है। इसमें मु•ाफ्फरनगर, बागपत के साथ-साथ हाथरस, कैराना, मथुरा की सीटें भी हैं। चर्चा है कि अखिलेश ने सपा के कोटे से रालोद को दो और सीटें देने का भरोसा दिया था पर हाथरस सीट बसपा के कोटे में जाती है तो सेटिंग बिगड़ सकती है। हालांकि, कैराना और मथुरा सीट पर आरएलडी के दरवाजे अभी बंद नहीं हुए हैं। दो सीटों पर आरएलडी की अब भी बात बन सकती है। सपाइयों ने बांटी मिठाई

हाथरस : सपा और बसपा के महागठबंधन की घोषणा होने पर सपाइयों में खुशी की लहर दौड़ गई। सभी सपा कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई। पार्टी के हाथरस विधानसभा अध्यक्ष गंगा ¨सह सेंगर, विधान सभा महासचिव टेकपाल कुशवाहा, नगर अध्यक्ष इसाक शाह, सुनील कुमार दिवाकर, गो¨वद ¨सह सिसोदिया, हेमंत गौड़, अशोक दिवाकर, हाजी नवाब, सतीश यादव, विजय राजपूत, कौशल किशोर प्रजापति, राणा प्रताप सिसोदिया, ¨रकू यादव, ठाकुर चौहान, भानु प्रताप, आजाद, साजिद खान, राशिद मलिक, पप्पू ¨सह ,लाखन पहलवान, बसंत लाल दीक्षित, आस मोहम्मद, गौरीशंकर बघेल, सोबरन ¨सह,श्री कृष्ण चक्र, आदि लोगों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर हर्ष व्यक्त किया। भाजपा सरकार ने पूरा

नहीं किया कोई वादा

ब्लर्ब-

सपाइयों ने समाजवादी विकास विजन कार्यक्रम में सरकार पर साधा निशाना

जासं, हाथरस : समाजवादी विकास विजन एवं सामाजिक न्याय कार्यक्रम सात जनवरी से 20 जनवरी तक आयोजित किया जा रहा है। नई बस्ती में आयोजित कार्यक्रम में सपाईयों ने सरकार को आड़े हाथों लिया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पिछड़ा वर्ग के प्रदेश सचिव एवं हाथरस जिला प्रभारी पूरनमल प्रजापति व प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य व पूर्व हाथरस विधानसभा प्रत्याशी रामनारायण काके विशेष अतिथि के रूप में मौजूद रहे। पूरनमल प्रजापति ने भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि केंद्र में मौजूद भाजपा सरकार द्वारा साढे़ चार वर्ष में किसी भी वादे को पूरा ना करके जनता के साथ छल किया है। भाजपा सरकार द्वारा किसानों का पूरा कर्ज माफ करने, प्रत्येक परिवार के खाते में 15 लाख रुपये पहुंचाने, प्रतिवर्ष दो करोड़ नौजवानों को रोजगार देने, भ्रष्टाचार समाप्त करने, किसानों की फसल का स्वामीनाथन आयोग की संस्तुति के अनुसार लाभकारी मूल्य ना दे सकने तथा महंगाई को कम करने आदि वादों को पूरा नहीं किया गया। ऐसी सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकना है।


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