बिखरने से रंगत खो रहा है संडे बाजार
शहर में तीन जगह लग रहा बाजार ढकपुरा रोड पर नहीं पहुंच रहे ग्राहक विडंबना -अभी भी पंजाबी मार्केट के अलावा पालिका के बाहर भी लग रहीं दुकानें -स्थान के अभाव के साथ ग्राहकों के लिए भी दुकानदार तरसते नजर आ रहे
संवाद सहयोगी, हाथरस : पुराने अड्डे से हटने के बाद बिखरने से संडे बाजार की रौनक कम हो गई। करीब दो वर्षों से कमला बाजार से नगर पालिका और अब ढकपुरा मार्ग पर पहुंचने से बाजार फीका पड़ता जा रहा है। स्थान के अभाव के साथ यहां ग्राहकों के लिए भी दुकानदार तरसते नजर आ रहे हैं।
ग्राहकों की भीड़ से शहर में रविवार को भी रौनक बिखेरने वाला संडे बाजार अपनी दुर्दशा पर रो रहा है। बाजार की यह स्थिति उसे शहर से अलग-थलग ढकपुरा मार्ग पर डाल दिए जाने के कारण ही बनी है। कभी कमला बाजार से अपनी यात्रा शुरू करने वाले संडे बाजार ने कई साल तक रामलीला ग्राउंड तक रौनक बिखेरी थी। आलम यह था कि यहां बाजार के दौरान अकसर जाम लग जाया करता था, जबकि यह बाजार अवकाश के दिन संडे को लगने के कारण इसका नाम भी संडे बाजार पड़ा। शहर में उस दिन लगने वाले जाम के अलावा दुकानदारों द्वारा वसूली किए जाने की बातें भी सामने आईं थीं। उसके बाद इस बाजार को पालिका परिसर में शिफ्ट किया गया। शुरुआत यहां भी अच्छी नहीं हुई मगर धीरे-धीरे यहां भी बाजार में भीड़ का उमड़ना शुरू हो गया। इस बाजार के कारण आगरा-अलीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगने वाले जाम के चलते यहां से भी इस बाजार को विदा होना पड़ा। अब यह बाजार ढकपुरा मार्ग पर पिछले कई संडे से लग रहा है। यहां ग्राहक नहीं निकलने से दुकानदार परेशान हैं।
तीन जगह बंट गया बाजार
संडे बाजार को भले ही ढकपुरा मार्ग पर डाल दिया हो पर यहां बाजार में रौनक नहीं है। यहां बाजार में लगने वाली दुकानों की संख्या भी कम है। कुछ दुकानदारों ने तो अब भी कमला बाजार का मोह नहीं छोड़ा है। संडे बाजार के नाम से आज भी दुकानें व फड़ कमला बाजार से लेकर रामलीला ग्राउंड तक ग्राहकों को समेटे हुए है। इसके साथ ही नगर पालिका के आसपास पुराने स्थान पर सजी संडे बाजार की दुकानें तक ही ग्राहक सिमटकर रह गया है। वर्जन --
आगरा से सामान बेचने आता हूं। ढकपुरा मार्ग पर बाजार पहुंच जाने से ग्राहक तो बिल्कुल ही छूट गए हैं। यहां मजबूरी में सामान भी कम कीमत पर बेचना पड़ रहा है।
-अनिल, कपड़ा विक्रेता बच्चों को पालने के लिए बाजार में सामान बेचने आती हूं, पर यहां बिक्री ही ढंग से नहीं हो रही है। कभी-कभी तो किराया भी निकालना मुश्किल हो जाता है। दुकानें भी कम हो रही हैं।
-मीरा, दुकानदार