अपनी छत के नीचे चैन की नींद सोये
हाथरस जनपद के एक हजार परिवारों को मिली थी सरकारी मदद पीएम आवास योजना के तहत तीन चरण में दिए गए ढाई लाख रुपया।
जागरण संवाददाता, हाथरस: नवरात्र और दीपावली से पहले मकान का गिफ्ट पाकर लाभार्थी फूले नहीं समा रहे हैं। अपने मकान में मंगलवार की रात काटी तो लाभार्थियों को अलग ही तरह की तसल्ली नजर आई। अपनी छत के नीचे तसल्ली से परिवार के साथ सोए। अब न किराया देने की चिकचिक और न मकान मालिक का उलाहना। प्रत्येक आदमी का सपना होता है कि मेरा भी अपना घर हो। गरीब आदमी के सपने को प्रधानमंत्री द्वारा चलाई जा रही योजना सच साबित कर रही है। पीएम ने जब अपने संबोधन में कहा कि अब झोंपड़ी में रहने वाले लखपति बन गए तो लाभार्थी खुश थे। तमाम लोगों ने अपने घर में पहुंचकर यादगार पल कैमरे में कैद कर लिए। कुछ तो नवरात्र में गृह प्रवेश करने का मन बनाया है।
बता दें कि आजादी का 75वां वर्ष अमृत महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। इस मौके पर लखनऊ में आयोजित समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों को चाबी सौंपी। हाथरस जनपद के एक हजार लाभार्थियों को भी वर्चुअल आवासों की चाबी सौंपी गई। जैसे ही लाभार्थियों को चाबी सौंपी तो उनके चेहरे खिल गए थे। आइए, पहली रात इन लाभार्थियों की कैसी कटी? क्या महसूस किया। जानते हैं उन्हीं की जुबानी। बोले लाभार्थी
पुरदिलनगर के जलेसरीगेट निवासी भूपाल सिंह बताते हैं कि उनके पिता पिछले 60 साल से कच्चे मकान में रहते थे और वह भी कच्चे में मकान में रहे रहे हैं। मेहनत मजदूरी करके परिवार का लालन-पालन किया। मगर मोदी सरकार ने अपने अपने घर के सपने को साकार कर दिया। पहली रात परिवार के साथ घर में सोए तो चैन की नींद आई।
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पुरदिलनगर के मोहल्ला गढ़ की रहने वाली मीना बताती हैं कि पूरा परिवार मेहनत मजदूरी करता है और मेहनत मजदूरी करके तीन बच्चों का पालन पोषण करना मुश्किल हो गया है तब अपना मकान कहां से बनाते। मगर पीएम मोदी जी ने अपने घर का सपना पूरा कर दिया तब पहली बार अपने पक्के मकान में परिवार के साथ सोई थी।
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पुरदिलनगर निवासी स्वरूपा देवी का कहना है कि सबसे पहले तो मोदी जी को शुक्रिया कि उन्होंने गरीबों को मकान बनाने के लिए तीन चरणों में ढाई लाख रुपये की मदद की। इसके बाद कैसे परिवार संग पहली रात अपने पक्के मकान में बिताई मैं बयां भी नहीं कर सकती है।
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पुरदिलनगर के रहने वाले गोपाल कहते हैं कि वह मेहनत मजदूरी करके घर का पालन-पोषण कर रहे हैं। रहने के लिए अपना घर भी नहीं था। मगर पीएम आवास योजना के तहत सरकार से ढाई लाख मिला तो जैसे-तैसे एक प्लाट की व्यवस्था कर घर का सपना साकार हो सका। अब न तो किराये पर मकान के लिए भटकना होगा और न किराया देने की चिता रहेगी।