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कौशल तो मिला पर रोजगार की गाड़ी बेपटरी

रोजगार दिलाने की कोशिशों के साथ ही नए रोजगार सृजन पर भी बेहतर काम की जरूरत

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Apr 2019 01:15 AM (IST)Updated: Mon, 08 Apr 2019 01:15 AM (IST)
कौशल तो मिला पर रोजगार की गाड़ी बेपटरी
कौशल तो मिला पर रोजगार की गाड़ी बेपटरी

जासं, हाथरस : रोजगार को लेकर विपक्ष, सत्ता पक्ष की नाकामी गिना रहा है और विभिन्न विभागों में निकली भर्तियों के नाम पर युवाओं को छलने का आरोप लगा रहा है। वहीं सत्ता पक्ष असंगठित क्षेत्र में पैदा हुए रोजगार के अवसरों को अपनी उपलब्धि बता रहा है। जनपद में रोजगार की बात करें तो 'सबको हुनर सबको काम' स्लोगन से शुरू की गई उ.प्र. कौशल विकास मिशन व प्रधानमंत्री कौशल विकास मिशन के तहत युवाओं को रोजगार के अवसर तो मिले मगर बेरोजगारों की स्थिति में संतोषजनक सुधार नहीं हुआ। असंतुष्ट युवा रोजगार के बेहतर अवसरों की उम्मीद में हैं। प्रशिक्षण की पहल :

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जनपद में उ.प्र. कौशल विकास मिशन के 18 सेंटर संचालित हैं, जबकि प्रधानमंत्री कौशल विकास मिशन के तहत हाल ही में तीन सेंटर खोले गए हैं। बात रोजगार की करें तो प्रधानमंत्री कौशल विकास मिशन के तहत अभी तक किसी को रोजगार नहीं मिला है। उ.प्र. कौशल विकास मिशन के तहत 1389 लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य मिला था। 3869 लोगों ने उ.प्र. कौशल सेंटर में प्रवेश लिया। इनमें 2848 ने प्रशिक्षण प्राप्त कर हुनर को विकसित किया। परीक्षा के बाद 1480 लोगों का सर्टिफिकेट के लिए मूल्यांकन हुआ, लेकिन रोजगार सिर्फ 875 को ही मिला। जनपद में एक अप्रैल 18 से अब तक कुल 17 रोजगार मेले आयोजित हुए। इनमें 1634 अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया, लेकिन रोजगार सिर्फ 597 को ही मिला। ये हैं उदाहरण

मुरसान मेन बाजार निवासी जूही अग्रवाल ने उ.प्र. कौशल विकास मिशन के तहत कम्प्यूटर का तकनीकी प्रशिक्षण गत वर्ष लिया। वह वर्तमान में एसबीआइ में फाइनेंस की जॉब कर 15,000 वेतन पा रही हैं। हाथरस के चामड़ गेट निवासी आयुषी ने भी उ.प्र. कौशल विकास मिशन से एडवांस डिप्लोमा कम्प्यूटर एप्लीकेशन गत वर्ष किया। वे भी हाथरस में एक प्राइवेट कंपनी में सात हजार रुपये मासिक वेतन पर नौकरी कर रही हैं। हसायन निवासी उज्ज्वल ठाकुर ने प्रशिक्षण के बाद स्वयं का ही सेंटर हसायन में खोल लिया। जूही, आयुषी व उज्ज्वल की तरह कुछ विद्यार्थी और भी हैं, जिन्होंने प्रयास तो किए लेकिन इन्हें रोजगार नहीं मिला। हाथरस के तबेला गली निवासी अजीत शर्मा व इसी क्षेत्र के उर्जित वाष्र्णेय प्रशिक्षण के बाद अभी तक रोजगार को भटक रहे हैं। शहरी आजीवका में 1895 में

सिर्फ 185 को मिला रोजगार

डूडा के तहत संचालित शहरी आजीविका मिशन के तहत कम्प्यूटर ऑपरेटर, सफाई कर्मी, कार्यालय कार्य, मजदूर, बढ़ई, ड्राइवर, सिलाई, विद्युत कर्मी, केयर टेकर, चतुर्थ श्रेणी, हाउस मेड, नर्स, प्लंबर, गेट कीपर, फोटो ग्राफर, अध्यापक, माली व अन्य असंगठित क्षेत्रों में रोजगार के लिए बेरोजगारों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है। यहां से आवश्यकतानुसार अलग-अलग ट्रेड के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। शहरी आजीविका मिशन के तहत जनपद में कुल 1895 का रजिस्ट्रेशन किया गया, इनमें सिर्फ 185 को ही रोजगार मिला है। आजीविका केंद्रों की यह है स्थिति

ब्लॉक, पंजीकृत बेरोजगार, रोजगार पाने वाले

हाथरस, 820, 03

सि.राऊ, 448, 118

सासनी, 113, 23

पुरदिलनगर, 80, 41

हसायन, 59, निल

मेंडू, 138, निल

सादाबाद, 132, निल

सहपऊ, 20, निल

मुरसान, 85, निल

सादाबाद, 132, निल वर्जन-

मिशन के तहत प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले युवाओं को रोजगार के लिए भरपूर अवसर दिए जाते हैं। समय-समय पर युवाओं को रोजगार मेले आयोजित कराकर रोजगार के अवसर दिए जाते हैं, लेकिन अधिकांश युवा किसी न किसी बहाने से या काम का दबाव पड़ने पर नौकरी छोड़ चले आते हैं। इस बड़ी समस्या से हमको जूझना होता है। ऐसे युवाओं की काउंसलिग भी कराई जाती है, जिससे वह रोजगार की दिशा में आगे बढ़ सकें।

-राजेश्वर सिंह, जिला समन्वयक, उ.प्र. कौशल विकास मिशन


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