रूप मातु को अधिक सुहावै
नवरात्र के दूसरे दिन घरों-मंदिरों में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना मंदिरों पर होने लगे हैं भक्ति संकीर्तन के आयोजन रमनपुर स्थित चामुंडा मंदिर पर चल रहा है शतचंडी यज्ञ।
संवाद सहयोगी, हाथरस : नवरात्र पर्व के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधिविधान से पूजा-अर्चना की गई। सभी शक्ति पीठों में दर्शन पूजन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। प्रमुख मंदिरों में सुबह के समय भीड़ के चलते श्रद्धालुओं को कतार में लगकर अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। मंदिर परिसर और नगर में भी माता रानी के भजनों की अनुगूंज है।
नवरात्र के दूसरे दिन शक्ति स्वरूपा मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। यह तप और ध्यान की देवी मां दुर्गा का ही दूसरा रूप हैं। धर्माचार्य बताते हैं कि ब्रह्मचारिणी के रूप में मां पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। नवरात्र में इनकी पूजा का विशेष महत्व है। शुक्रवार को श्रद्धालुओं ने घरों में पूजा-अर्चना कर दुर्गा सप्तशती का पाठ किया। तमाम श्रद्धालु हाथों में पूजा की थाली लिए बौहरे वाली देवी, चामुंडा देवी, हाथुरसी देवी, मशानी देवी मंदिर सहित अन्य देवी मंदिरों में पहुंचे। मंदिरों में भक्ति धुनें लाउड स्पीकर पर गूंज रही थीं। वहीं रमनपुर स्थित चामुंडा मंदिर में शतचंडी महायज्ञ व भागवत कथा का आयोजन चल रहा है। देहात के मंदिरों उमड़े श्रद्धालु
नवरात्र में देवी मंदिरों में धूम मची हुई है। यहां सुबह से ही पूजा करने के लिए श्रद्धालुओं का पहुंचना शुरू हो जाता है। देहात के कोटा में कैला करौली मंदिर, बिसाना में तारागढ़ वाली माता मंदिर, सासनी में कंकाली देवी मंदिर, सहपऊ व सादाबाद के देवी मंदिरों पर भी सुबह से ही भक्तों की लंबी कतार लगी थी। देवी जागरण में मनमोहक झांकियां
सिकंदराराऊ में नवरात्र पर गांव नगला नाहर में आयोजित देवी जागरण में श्रद्धालु रात भर झूमते रहे। कलाकारों ने मनमोहक झांकियां प्रस्तुत कीं। कार्यक्रम का शुभारंभ विधायक वीरेंद्र सिंह राणा ने किया। आयोजकों ने विधायक का स्वागत किया। इसमें प्रेमपाल सिंह कश्यप, दीपक उपाध्याय मौजूद रहे। भद्रकाली मंदिर पर भागवत
से पूर्व निकाली कलशयात्रा
संसू, सहपऊ : कस्बे में स्थित मां भद्रकाली महाशक्तिपीठ मंदिर परिसर में भव्य कलशयात्रा निकालने के साथ ही श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया गया। कलशयात्रा मंदिर परिसर से प्रारंभ होकर मोहल्ला शुक्लयाना, बजरिया होती हुई कथा पंडाल में जाकर संपन्न हुई। स्वामी गोपेश्वर देव महाराज ने कथा में प्रवचन कर धार्मिक आयोजनों का महत्व बताया।