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भ्रष्टाचार पर कुठाराघात कर गया 'राज दरबार'

चिंतन दाऊजी मेले में पेश नाटक में बताया गया कि भाई-भतीजावाद बढ़ाता भ्रष्ट्राचार मंचन से तंज मराठी नाटक भाजी-पूरी करा का हिदी अनुवाद है राज दरबार प्रधान सचिव ने साले को हवलदार बनाया पोल खुली तो देश निकाला

By JagranEdited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 01:04 AM (IST)Updated: Fri, 20 Sep 2019 06:27 AM (IST)
भ्रष्टाचार पर कुठाराघात कर गया 'राज दरबार'
भ्रष्टाचार पर कुठाराघात कर गया 'राज दरबार'

संवाद सहयोगी, हाथरस : दाऊजी मेले में नाटक 'राज दरबार' का मंचन कर कलाकारों ने भ्रष्ट्राचार के प्रति लोगों को सजग ही नहीं किया, बल्कि उसके खिलाफ लड़ने के लिए भी लोगों को प्रेरित किया। मेला पंडाल में लखनऊ के कलाकारों द्वारा अभिनीत इस नाटक को लोगों ने खूब सराहा।

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मेला श्री दाऊजी महाराज के पंडाल में गुरुवार को 'राज दरबार' नाटक का मंचन चर्चा में रहा। निर्धारित समय से करीब डेढ़ घंटे के विलंब से शुरू हुए इस नाटक में कलाकारों ने भ्रष्टाचार पर करारी चोट की। हंसाने-गुदगुदाने के साथ ही चुभते सवाल भी पेश किए। कलाकारों ने रोचक मंचन से यह दिखाने की कोशिश की कि भ्रष्ट्राचार का सबसे बड़ा कारण भाई-भतीजावाद, लोगों की लापरवाही, गैरजिम्मेदारानापन ही है। अच्छा पद और पावर मिलने पर व्यक्ति अपना फर्ज भूलकर निजी स्वार्थों में फंसकर भ्रष्टाचार की राह पकड़ लेता है। इस नाटक में राज्य के प्रति लापरवाह बने राजा का उसके दरबारी स्वार्थवश किस तरह महत्वपूर्ण पदों पर भाई-भतीजावाद अपनाते हुए अयोग्य व्यक्तियों को बिठाकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं, इसका सजीव चित्रण किया गया। बाद में पोल खुलने पर राजा की आंखें खुलती हैं और गलत कार्य करने वालों को दंडित करना शुरू कर देता है।

इसमें राजा का प्रधान सचिव अपने अनपढ़ साले को हवलदार बनाता है। मैनाबाई के चक्कर में वह राजा की छपरी पलंग चुरा लेता है। उसके घर से पलंग बरामद होने के बाद राजा उसे राज्य से निकाल देता है। इसमें राजा-अभिषेक नायक, प्रधान सचिव-राज यादव, हवलदार-धीरेंद्र यादव, मैनाबाई-सरिता यादव ने बेहतरीन अभिनय किया। यह 'राज दरबार' बसंत सबनीरा के मराठी नाटक 'भाजी पूरी करा' का हिदी रूपांतरण है। इस मौके पर सीओ चकबंदी सचिन बहादुर राम, जितेंद्र, रवि आदि मौजूद थे।


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