जनप्रतिनिधियों ने भी की बूलगढ़ी की अनदेखी
प्रधान के बेटे कई बार कर चुके हैं सड़क निर्माण की मांग बार-बार अनुरोध के बाद भी सड़
प्रधान के बेटे कई बार कर चुके हैं सड़क निर्माण की मांग, बार-बार अनुरोध के बाद भी सड़क निर्माण की गई अनदेखी
जागरण संवाददाता, हाथरस: जिले के जिस बूलगढ़ी गांव की चर्चा पूरे देश में झकझोर देने वाली घटना के कारण हो रही है। वह बूलगढ़ी गांव जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का शिकार रहा है। बारिश के दिनों में बघना से गांव बूलगढ़ी जाने वाला रास्ता दलदल में तब्दील हो जाता है। प्रधान के बेटे का आरोप है कि बघना ग्राम पंचायत का माजरा है बूलगढ़ी गांव। इस कारण वहां की एक सड़क बनवाने को सांसद से लेकर विधायक तक को कई बार पत्र लिखे। मगर सड़क आज तक नहीं बनी।
घटना से पहले तक अंधेरे में था गांव
विगत 29 सितंबर को बूलगढ़ी की एक युवती की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद गांव में सियासी जमावड़ा और सीएम के दूत बनकर आए डीजीपी और अपर मुख्य सचिव जब गांव आए तो उससे पहले ही गांव को साफ सुथरा करने को विशेष अभियान चलाया गया था। गांव के किसी भी खंभे पर बल्ब भी नहीं था सो आनन-फानन में सभी खंभों पर एलईडी बल्ब लगाए गए थे। कई दिन तक सफाई कर्मचारियों का डेरा रहा। गांव में दूर दूर तक सरकारी नल नहीं है तो एक टैंकर अब दिन रात खड़ा रहता है ताकि पीने के पानी की समस्या न आए। मगर बूलगढ़ी गांव में सबसे बड़ी समस्या एक किलो मीटर का वह रोड है जो बूलगढ़ी से ग्राम पंचायत बघना के रास्ते को जोड़ता है। बघना की प्रधान रूपवती देवी के बेटे रामकुमार सिंह का कहना है कि बघना से बूलगढ़ी जाने वाली एक किलोमीटर से भी कम की सड़क कच्ची है, यहां खड़ंजा तक नहीं है। सड़क पक्की बनाने की मांग सांसद राजवीर सिंह दिलेर और विधायक सदर हरीशंकर माहौर के अलावा डीएम और शासन तक से पत्रों के जरिए की। मगर सड़क आज तक नहीं बनी।
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एलआइयू, आइबी टीम का भी डेरा
बूलगढ़ी गांव में पहले ही दिन से एलआइयू का डेरा था। आसपास के गांव के बारे में जानकारी जुटा रही है। अभी माहौल कैसा है। इस पर अध्ययन किया जा रहा है। बुधवार को आइबी टीम के एक इंस्पेक्टर ने भी दिनभर डेरा डाले रखा। ये टीम लखनऊ से यहां आई है।