कैनवास रंगीन बनाकर रुला गई अनमोल
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली सिकंदराराऊ की दिव्यांग पेंटर नहीं रही
संवाद सूत्र, हाथरस : पेंटिंग के क्षेत्र में अपने हुनर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने वाली दिव्याग पेंटर अनमोल वाष्र्णेय अब नहीं रहीं। 25 साल की छोटी सी उम्र में अनगिनत पुरस्कार हासिल करसिकंदराराऊ का नाम रोशन कर गई।
गुरुवार की रात अनमोल के पेट में गैस के कारण दर्द हुआ था। दवा लेने के बाद सो गईं। तड़के 4:30 बजे अंतिम सास ली। वह दिव्याग जरूर थीं, लेकिन जज्बा, जिद और जुनून सक्षम लोगों से कहीं ज्यादा था। 48 प्रतिशत दिव्याग होने के बावजूद अपने हुनर को हथियार बनाकर समाज में अलग पहचान बनाई। अनमोल ने पेंटिंग बनाने की दुनिया में तहलका मचा दिया था। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी पेंटिंग्स प्रदर्शनी में शामिल की गईं। लंदन की प्रदर्शनी में भी उनकी पेंटिंग को जगह मिली थी।
मोहल्ला नौरंगाबाद पश्चिमी निवासी शिक्षक संजय वाष्र्णेय की पुत्री अनमोल वाष्र्णेय दिव्याग होने के कारण ठीक से चल भी नहीं पाती थी और खाना खाने के लिए भी उन्हें सहारा लेना पड़ता था। बावजूद अनमोल ने पेंटिंग के साथ अपनी शिक्षा को भी जारी रखा और उन्होंने एमएससी किया तथा बीटीसी की ट्रेनिंग पूरी की।
कई पुरस्कार पाकर बढ़ाया गौरव
अनमोल ने तीन दर्जन से अधिक पुरस्कार अर्जित कर पूरे देश में ख्याति प्राप्त की। उन्हें 2019 में पेंटर ऑफ द ईयर अवार्ड दिया गया था। प्रसिद्ध चंडीगढ़ आरजीएफ ट्रॉफी, गाधी आर्ट गैलरी द्वारा पुरस्कृत किया गया था। उनकी दो पेंटिंग्स लंदन की प्रदर्शनी में शामिल होने के लिए गई। इसके अलावा सुपर अचीवर अवार्ड 2018, दिव्याग रत्न सम्मान, चौधरी आर्ट ट्रस्ट अवार्ड, आरजेएफ इंटरनेशनल अवॉर्ड, कोबरा आर्ट जोन 2018 सिल्वर मेडल, नटराज आर्ट जौन गोल्ड मेडल ,चंडीगढ़ आर्ट फेयर, मास्टर क्लास, इंटरनेशनल पेंटिंग सिंपोजियम, पेंट फॉर लव वर्ल्ड, बिगेस्ट पेंटिंग वर्कशॉप, कलाकार फाउंडेशन गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, रास रंग गोल्ड मेडल 2016 ,एकेडमी ऑफ यूनिवर्स पुरस्कार जैसे हीरे उनके ताज में जड़े जा चुके थे और न जाने कितने अवार्ड अभी उनकी प्रतीक्षा कर रहे थे।