सपा जिलाध्यक्ष समेत 13 की गिरफ्तारी की तैयारी
छात्रवृत्ति घोटाले में आर्थिक अपराध शाखा कानपुर ने पुलिस को दी तहरीर वर्ष 2006 में अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति में घोटाला ईओडब्ल्यू की तहरीर के बाद शिक्षा माफियाओं में मची खलबली
संसू, हाथरस : सिकंदराराऊ क्षेत्र के कॉलेजों में छात्रवृत्ति घोटाले का मामला एक बार फिर से गरमा गया है। इस घोटाले में आरोपित सपा के जिलाध्यक्ष युवराज सिंह समेत 13 लोगों की गिरफ्तारी की तैयारी पुलिस कर रही है। मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) कानपुर ने आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को तहरीर दी है।
हाथरस जनपद के कई कॉलेजों में छात्रवृत्ति वितरण में बड़ा घोटाला किया गया है। वर्ष 2002 से 2006 तक अनुसूचित जाति के सैकड़ों छात्रों की छात्रवृत्ति का पैसा शिक्षा माफिया डकार गए। इनमें कई विद्यालय तो कागजों में ही संचालित थे। कई विद्यालयों में छात्रों की संख्या को बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया। इसकी जांच कानपुर की आर्थिक अपराध शाखा कर रही है। 2006 में इस घोटाले में युवराज सिंह यादव के श्रीकृष्ण योगीराज कॉलेज रतिभानपुर (सिकंदराराऊ) में भी बड़ी संख्या में छात्रों का पैसा पचाया गया था। इसकी धनराशि करीब 63 लाख रुपये बताई गई है। 2006 में ईओडब्ल्यू कानपुर इकाई ने धारा 420, 467, 468, 471 के तहत कोतवाली सिकंदराराऊ में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मुकदमे के बाद ईओडब्ल्यू लगातार जांच कर रही थी। अब इसमें ईओडब्लयू ने सिकंदराराऊ पुलिस को तहरीर दी है, जिसमें सपा जिलाध्यक्ष युवराज सिंह यादव समेत 13 लोगों को नामजद किया है। लंबी जांच प्रक्रिया के उपरांत अब एक बार फिर से स्थानीय पुलिस आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए सक्रिय हो गई है। युवराज सिंह एक महीने
पहले ही बने जिलाध्यक्ष
युवराज सिंह यादव को पिछले महीने ही समाजवादी पार्टी ने जिलाध्यक्ष मनोनीत किया था। इसके बाद पार्टी में अंदरखाने विरोध हो रहा है। यह मामला पार्टी अध्यक्ष तक भी पहुंच गया है। अब गिरफ्तारी के आदेश के बाद पार्टी में सियासी सरगर्मी भी बढ़ गई है। इनका कहना है
ईओडब्ल्यू कानपुर इकाई 2006 में सिकंदराराऊ कोतवाली में दर्ज कराए गए मुकदमे की विवेचना कर रही है। उक्त विवेचना के संबंध में ईओडब्लू से युवराज सिंह यादव आदि 13 व्यक्तियों के खिलाफ तहरीर प्राप्त हुई है। ईओडब्ल्यू के सहयोग से आरोपितों की गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।
-सुरेंद्र सिंह, सीओ सिकंदराराऊ पूर्व प्रधानाचार्य के खिलाफ दर्ज होगी एफआइआर
संस, हाथरस : एचपी सिंह कृषि जूनियर हाईस्कूल के पूर्व प्रधानाचार्य पर फर्जी अनुमोदन के जरिये तीन शिक्षक व एक लिपिक की नियुक्ति करने का आरोप है। इस मामले की जांच जिला विकास अधिकारी कर रहे हैं। बीएसए ने प्रबंधक को निर्देश दिए हैं कि पूर्व प्रधानाचार्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराकर कार्रवाई की जाए।
नियुक्ति प्रकरण के संबंध में जिला विकास अधिकारी ने बीएसए को जांच के निर्देश दिये थे। बीएसए ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि शिक्षक व लिपिक का प्रथम ²ष्टया कोई दोष नहीं लगता है। जिस वक्त नियुक्तियां हुई थीं, उस समय प्रधानाचार्य गंगा प्रसाद गौतम थे। इसलिए नियुक्ति की जिम्मेदारी प्रधानाचार्य व प्रबंधक दोनों की थी। नियुक्ति प्रक्रिया पर प्रश्न चिह्न लगे हैं, परन्तु शिक्षक कर्मचारियों की योग्यता पर कोई प्रश्न चिह्न नहीं है, इसलिए उन्हें इसके लिए दोषी नहीं माना जा सकता है। तत्कालीन प्रबंधक की मृत्यु हो चुकी है। इसलिए अब पूर्व प्रधानाचार्य ही दोषी हैं। पूर्व प्रधानाचार्य ने ही 22 फरवरी 1995 में खुद ही कूटरचित अनुमोदन पत्र तैयार किया है। वेतन भुगतान पूर्व प्रधानाचार्य के हस्ताक्षर से हुआ है। बीएसए ने प्रबंधक को निर्देश दिए हैं कि वह संबंधित थाने में पूर्व प्रधानाचार्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करायें। बीएसए मनोज कुमार मिश्र का कहना है नियुक्ति के संबंध में जांच मिली थी। पूर्व प्रधानाचार्य को दोषी पाया गया है। रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए प्रबंधक को निर्देश जारी किए हैं। गर्भवती से दुष्कर्म की रिपोर्ट साढ़े सात माह बाद हुई दर्ज
संसू, सादाबाद : मई क्षेत्र की एक महिला ने अदालत के आदेश पर गांव के ही इंद्रजीत उर्फ लड्डू पुत्र सुरेश के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए रिपोर्ट दर्ज कराई है। कहा है कि उसकी सास को छह फरवरी की शाम छह बजे आरोपित युवक गालियां देते हुए पकड़कर मारपीट कर रहा था। पीड़िता ने उसे धक्का मारकर अपनी सास को बचा लिया तो वह उसे देख लेने की धमकी देकर चला गया। 11 फरवरी को दिन के 11 बजे जब वह घर पर अकेली थी, पति, जेठ व सास खेत पर काम करने गए थे। मौका पाकर युवक छत के रास्ते से घर मे घुस गया और जबरन दुष्कर्म किया। धमकी दी कि मुंह खोला तो जान से मार दूंगा। शोर मचाने पर गांव के लोग तथा पति भी आ गए। उनको देखकर दीवार व झाड़ियों की आड़ में छुप कर भागने लगा। पति ने मोबाइल से उसकी फोटो खींच ली। वह गर्भवती है और दर्द से पीड़ित है। जब वह थाने गई तो रिपोर्ट नहीं लिखी और ना ही डॉक्टरी परीक्षण कराया। कोर्ट के आदेश पर साढ़े सात माह बाद रिपोर्ट दर्ज की गई।