Move to Jagran APP

बरगद-सा सियासी कुनबा था, कटे दरख्तों-सा हो गया

पश्चिमी उप्र में मिसाल दी जाती थी रामवीर और उनके भाइयों की

By JagranEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 01:19 AM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 01:19 AM (IST)
बरगद-सा सियासी कुनबा था, कटे दरख्तों-सा हो गया
बरगद-सा सियासी कुनबा था, कटे दरख्तों-सा हो गया

जासं, हाथरस : बसपा के कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय ने जिस तरह अपने परिवार को सियासत में आगे बढ़ाया और जमाया उसकी मिसाल पश्चिमी उप्र में दी जाती है। करीब तीन दशक पहले अनजाना-सा उनका परिवार अचानक राजनीति का विराट वृक्ष बन गया। भाई मुकुल उपाध्याय को विधायक और एमएलसी बनाया तो पत्नी सीमा उपाध्याय को फतेहपुर सीकरी से सांसद। तीसरे नंबर के भाई विनोद उपाध्याय को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया। पांचवें नंबर के भाई रामेश्वर को भी ब्लाक प्रमुख बनवा लिया। राजनीति का ऐसा पांसा फेंका कि हाथरस की तीनों सीटों से बारी-बारी जीत हासिल करते रहे। पश्चिमी उप्र में ऐसा शायद ही कोई नेता हो, जो उनके जैसा कीर्तिमान हासिल कर सका हो। पर, आज यह कुनबा बिखर रहा है। काफी समय से परिवार में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था। इसके संकेत पहले से मिले थे, लेकिन शुक्रवार को घर की लड़ाई चाहरदीवारी से बाहर आ गई। बसपा से बर्खास्त भाई मुकुल उपाध्याय ने रामवीर उपाध्याय पर अनगिनत आरोप लगाए। इससे विरोधी खेमा खुश है, लेकिन सकते में भी।

loksabha election banner

दरअसल, छह भाइयों में सबसे बड़े रामवीर उपाध्याय ही हैं। उनसे छोटे प्रमोद उपाध्याय कानूनगो हैं। फिर, विनोद उपाध्याय जिला पंचायत अध्यक्ष रहे। चौथे नंबर के मुकुल और इनके बाद रामेश्वर। सबसे छोटे भाई महेश उपाध्याय बिजली विभाग में अधिशासी अभियंता हैं। छह में से चार भाई राजनीति में हैं। रामवीर ने गाजियाबाद में कारोबार करने के बाद जब राजनीति की ओर रुख किया तो हाथरस लौटते वक्त मुकुल उपाध्याय को ही साथ लिया था। समाज को एकजुट करके भाजपा से टिकट की ताल ठोंकी। भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय ही सदर सीट से उतर पड़े। इसमें जीत हासिल नहीं हो पाई, लेकिन सियासी जमीन तैयार हो गई। इसके बाद बसपा ने रामवीर को मौका दिया वह पार्टी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा बन गए। सरकार बनी तो उसमें रामवीर उपाध्याय परिवहन मंत्री बनाए गए। इसके बाद रामवीर ने पार्टी को तो बढ़ाया ही, परिवार को भी पूरा मौका दिया।

रामवीर ने वर्ष 2004 में मुकुल उपाध्याय को इगलास विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में उतारा। यह सीट चौ. बिजेंद्र ¨सह के लोकसभा सदस्य चुने जाने पर खाली हुई थी। मुकुल ने पहली ही बार में रालोद के पूर्व विधायक चौ. मलखान ¨सह को हराकर बसपा का खाता खोल दिया। यह और बात है कि मलखान ¨सह की हत्या के बाद वर्ष 2007 में उनकी पत्नी विमलेश चौधरी ने मुकुल से हार का बदला चुका लिया। 2008 में मुकुल, सुनील ¨सह को हराकर अलीगढ़ स्थानीय निकाय सीट से एमएलसी चुने गए। बसपा सरकार में राज्य सेतु निगम के उपाध्यक्ष व औद्योगिक विकास संस्थान के अध्यक्ष भी बनवा दिया। वर्ष 2014 में गाजियाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़वाया पर जीत न सके। वर्ष 2017 में शिकारपुर विधानसभा सीट से भी चुनाव में हार मिली। आठ माह पूर्व हाथरस नगर पालिका अध्यक्ष के चुनाव में भी मुकुल की पत्नी रितु उपाध्याय को हार मिली। जीत-हार के बीच परिवार में मनमुटाव बढ़ा।

इस बीच, कुछ और चीजें भी घटीं। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से पहले रामवीर उपाध्याय ने प्रेसवार्ता कर रामेश्वर उपाध्याय को जिपं अध्यक्ष बनाने की घोषणा की थी। इस बीच परिवार में कुछ ऐसा हुआ कि विनोद उपाध्याय को जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। बसपा ने जीत की परंपरा कायम रखी और विनोद उपाध्याय अध्यक्ष चुने गए। पर, आधा कार्यकाल भी हुआ था कि अविश्वास प्रस्ताव आ गया और विनोद को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। सपा की जिलाध्यक्ष ओमवती यादव इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष बन गईं। यह सिर्फ विनोद उपाध्याय भर की हार नहीं थी, बल्कि इसी के साथ बसपा के दशकों पुराने विजय रथ पर भी विराम लग गया। इसके बाद रामवीर उपाध्याय के खास रहे आशीष शर्मा बागी हो उठे। बसपा से अलग होकर उपाध्याय परिवार के खिलाफ नगर पालिका चुनाव में उतरे और परिवार की कलह का लाभ उठाने में सफल रहे। चूंकि सियासी गलियारों में रामेश्वर उपाध्याय की पत्नी कल्पना उपाध्याय के नगर पालिका अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की चर्चा थी। इसके लिए उन्होंने जिला पंचायत सदस्य पद से इस्तीफा भी दे दिया था। पर, ऐन वक्त पर मुकुल उपाध्याय की एंट्री हुई और उनकी पत्नी रितु उपाध्याय को नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा दिया गया। इसके बाद भी चारों भाई बसपा से जुड़े हुए थे।

मुकुल को बसपा से बर्खास्त किया जाना और फिर सीधे-सीधे भाई रामवीर उपाध्याय पर गंभीर आरोप लगाना जाहिर कर रहा है कि परिवार की कलह किस कदर बढ़ चुकी है। असहाय रामवीर सबकुछ देखकर व्यथित हैं।

---


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.