वीआइपी ट्रेनें रोकने की थी प्ला¨नग
अफसरों की पहुंच से दूर हाथरस जंक्शन को बनाया साफ्ट टारगेट तगड़ी साजिश सुबह ही दिल्ली व लखनऊ के लिए करते हैं अधिक वीआइपी सफर हाथरस जंक्शन स्टेशन को उपयुक्त मानते हुए ही बनाई गई योजना
संवाद सहयोगी, हाथरस : कुलियों ने पंद्रह दिन पहले ही रेलवे ट्रैक को बाधित करने की प्ला¨नग बना ली थी। किस जगह रेलवे ट्रैक को बाधित करके अपनी बात सरकार तक पहुंचानी है, यह सब तय हो चुका था। गुरुवार रात को ही कुलियों का आवागमन रणनीति के तहत हाथरस जंक्शन में शुरू हो गया, लेकिन भारी संख्या में कुलियों के आने की खबर स्थानीय पुलिस व प्रशासनिक अफसरों को नहीं लग सकी। इसकी वजह से पांच घंटे तक रेलवे ट्रैक बाधित रहा।
आल इंडिया रेलवे लाल वर्दी कुली यूनियन के बैनर तले देश के महाराष्ट्र, उत्तराखंड, दिल्ली, एमपी, हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़ सहित 16 राज्यों के कुलियों ने चक्का जाम करने की प्ला¨नग बनाई थी। यूनियन के राष्ट्रीय प्रधान कश्मीरी लाल ने दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान बताया कि पिछले कई साल से कुलियों को सरकारी नौकरी, बुजुर्ग कुलियों के आश्रितों को नौकरी देने के लिए संघर्ष किया जा रहा है। सात सितंबर को चक्का जाम की जानकारी पूर्व में ही लिखित रूप में दे दी गई थी। इसके बाद भी जब कोई निर्णय नहीं लिया गया तो आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ा। हाथरस जंक्शन यूनियन के लिए उपयुक्त स्थान था, क्योंकि जिस समय चक्का जाम किया गया तब इस रूट से कई ऐसी गाड़ियां निकलती हैं जिसमें वीवीआइपी और वीआइपी भी होते हैं। सुबह जैसे ही रेलवे ट्रैक बाधित करने की जानकारी अफसरों को मिली तो हड़कंप मच गया। यहां चक्का जाम करने से बात जल्दी ही उच्च अधिकारियों तक पहुंच गई। इस ट्रैक पर शताब्दी, राजधानी, गोमती, नीलांचल, कालका आदि ट्रेनें आती हैं। इसलिए यहां आकर रेलवे ट्रैक बाधित करके अपनी बात अधिकारियों तक पहुंचाई गई। प्ला¨नग के तहत ही दूर दराज के कुली कई दिन पूर्व ही हाथरस के लिए निकल लिए थे। कुली किसी बड़े स्टेशन पर अपना चक्का जाम नहीं कर पाते, इसलिए भी उन्होंने हाथरस जंक्शन को चुना, क्योंकि जब तक अधिकारी कुछ समझ पाते, उससे पहले ही वे अपनी बात अधिकारियों के कानों तक पहुंचा चुके थे।