प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें न लेने पर नंबर काटने की चेतावनी
सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज के विद्यार्थियों ने डीआइओएस से शिकायत कर लगाए गंभीर आरोप देखो सरकार -किताबों पर कमीशनखोरी के खेल से पिस रहे गरीब अभिभावक -निजी कान्वेंट स्कूलों में महंगी किताबों का बोझ जेब पर भारी
संवाद सहयोगी, हाथरस : निजी स्कूलों व कॉलेजों में प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों के जरिये कमीशनखोरी का खेल अब अभिभावकों को अखरने लगा है। बड़े स्कूल, जहां प्रवेश मुश्किल से मिल पाता है, उनकी शिकायत करने में भले ही अभिभावक हिचकिचाते हों, मगर अन्य स्कूलों की शिकायतें यदा-कदा अफसरों के पास पहुंच ही जाती हैं। अब अलीगढ़ रोड स्थित सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज लेबर कॉलोनी के तीन छात्रों ने डीआइओएस से शिकायत की है। बताया है कि विद्यालय प्रबंधन प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें लेने के लिए दबाव बना रहा है। किताबें न लेने पर नंबर काटने की चेतावनी दी जा रही है। डीआइओएस इस मामले की पड़ताल करा रहे हैं।
निजी स्कूल व कॉलेज पाठ्यक्रम से जुड़ी सरकारी किताबों की बजाय प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों को ही अपने स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करते हैं। रिजल्ट आते ही अगली कक्षा में प्रवेश के दौरान किताबों की लिस्ट थमा दी जाती है। सोमवार को सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज लेबर कॉलोनी के तीन छात्र डीआइओएस सुनील कुमार के पास पहुंचे। इन विद्यार्थियों का आरोप था कि प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें खरीदने के लिए उनपर दबाव बनाया जा रहा है। जबकि उन्हें एनसीईआरटी की किताबें ही पढ़ाई जानी चाहिए। महंगी किताबें न लेने पर टेस्ट के नंबर काट लिए जाने की चेतावनी दी जा रही है। डीआइओएस ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी। पिछले दिनों विद्यालय के पुरातन छात्र संगठन ने भी प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें न लगाने के लिए विद्यालय में जाकर ज्ञापन प्रधानाचार्य व प्रबंधक को दिया था। इसके बावजूद सुधार नहीं हो रहा है।
इनकी सुनो
विद्यालय के कुछ छात्र शिकायत लेकर आए थे। पत्र कॉलेज के लिए जारी कर दिया गया है कि प्राइवेट प्रकाशकों की किताबें कतई न लगाई जाएं।
-सुनील कुमार, डीआइओएस, हाथरस।
'छवि बिगाड़ने की कोशिश'
विद्यालय प्रबंधक रामवीर सिंह दादू एडवोकेट का कहना है कि विद्यालय की छवि को खराब करने की साजिश की जा रही है। किताबों का व्यापार करने वाले कुछ लोग छवि खराब करने में जुटे हैं। विद्यार्थियों को एनसीईआरटी की किताबों के लिए कहा गया है। जिले का कोई भी शिक्षा अधिकारी विद्यालय आकर इस बाबत पड़ताल कर सकता है। पिछले दिनों फेसबुक पर भी विद्यालय की छवि को खराब करने के लिए किसी ने पोस्ट डाली थी।