गरीब बच्चों को स्मार्ट क्लास से ज्ञान
रोटरी इंटरनेशनल के सहयोग से हुई है विद्यालयों में अत्याधुनिक व्यवस्था अनूठी पहल -जिले के पांच माध्यमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की सुविधा शुरू
संवाद सहयोगी, हाथरस : अभी तक सीबीएसई बोर्ड व कान्वेंट स्कूलों के विद्यार्थियों को ही स्मार्ट क्लास में पढ़ाई का मौका मिलता था, लेकिन अब माध्यमिक शिक्षा परिषद के अशासकीय विद्यालयों में भी यह सुविधा गरीब, असहाय परिवारो के विद्यार्थियों को मिलेगी। जिले के पांच अशासकीय माध्यमिक इंटर कॉलेजों में स्मार्ट क्लास के जरिए बच्चों को ज्ञान मिला करेगा।
अभी तक क्या थी व्यवस्था
जिले में 55 एडेड, 18 राजकीय के अलावा 243 वित्तविहीन विद्यालय हैं। अशासकीय व राजकीय हाईस्कूलों में गरीब व असहाय परिवार के बच्चों की अधिकता अधिक रहती है। विद्यालयों में अभी बच्चों को ब्लैक बोर्ड के जरिए ही पढ़ाया जाता है, जबकि सीबीएसई व कान्वेंट स्कूलों में स्मार्ट क्लासेज के जरिए बच्चों को ज्ञान दिया जाता है। माध्यमिक विद्यालयों के बच्चे सीबीएसई बोर्ड के विद्यार्थियों को देखकर अपने आपको उपेक्षित महसूस करते हैं।
पांच विद्यालयों में संचालन :
जिले के पांच अशासकीय इंटर कॉलेजों में अब स्मार्ट क्लासेस के जरिए बच्चों को पढ़ाया जाएगा। इसके लिए पांच विद्यालयों को रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों ने चयन किया है। इन विद्यालयों में रामबाग इंटर कॉलेज, महात्मा गांधी कन्या इंटर कॉलेज, रामचंद्र कन्या इंटर कॉलेज, सरस्वती शिशु मंदिर, आगरा रोड और केएल जैन इंटर कॉलेज सासनी शामिल हैं।
मिलेगा बेहतर ज्ञान :
प्रत्येक विद्यालय में स्मार्ट क्लास की शुरुआत हो सके, इसके लिए संस्था का करीब पचास हजार रुपये प्रति विद्यालय पर खर्च हुआ है। प्रोजेक्टर पर बच्चों को विजुअल व साउंड के जरिए ज्ञान दिया जाएगा। अंग्रेजी, ¨हदी, गणित, विज्ञान आदि विषयों का डाटा साफ्टवेयर में दिया गया है। विद्यालयों में शिक्षक बच्चों को अब स्मार्ट क्लास के जरिए विषयों का ज्ञान देंगे। इनकी सुनो
सरकारी विद्यालयों में गरीब तबके के अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं। संस्था ने पांच विद्यालयों का चयन करके वहां स्मार्ट क्लास की व्यवस्था कराई है, ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा का लाभ मिल सके।
-एके जैन, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर, रोटरी इंटरनेशनल।
संस्था के सहयोग से स्मार्ट क्लास की पांच विद्यालयों में व्यवस्था दो जुलाई से शुरू होने जा रही है। स्मार्ट क्लासेस के जरिए पढ़ाई करने से बच्चों का मनोबल बढ़ेगा।
-सुनील कुमार, डीआइओएस, हाथरस।