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'मुस्लिम पसर्नल बोर्ड जो हुक्म देगा, वो मंजूर'

जागरण संवाददाता, हाथरस : तीन तलाक पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जहां जानकार इससे पीड़ि

By JagranEdited By: Published: Wed, 23 Aug 2017 01:33 AM (IST)Updated: Wed, 23 Aug 2017 01:33 AM (IST)
'मुस्लिम पसर्नल बोर्ड जो हुक्म देगा, वो मंजूर'
'मुस्लिम पसर्नल बोर्ड जो हुक्म देगा, वो मंजूर'

जागरण संवाददाता, हाथरस : तीन तलाक पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को जहां जानकार इससे पीड़ित महिलाओं की जीत बताते हुए जश्न मनाने को कह रहे हैं। वहीं मुस्लिम संगठन के लोग इसे थोपा हुआ फैसला बताते हुए केंद्र सरकार पर आक्रामक तेवर दिखा रहे हैं। तीन तलाक को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए छह महीने के लिए रोक लगा दी है। शहर के मुस्लिम समाज को लोगों से जब इस बारे में बात की गई तो उनका था कि भारत के संविधान में सभी को मजहबी आजादी का अधिकार है। तीन तलाक मजहबी मामला है, जिसमें हस्तक्षेप गलत है। उन्होंने कहा कि उन्हें अब मुस्लिम पसर्नल बोर्ड के हुक्म का इंतजार है।

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मुस्लिम पसर्नल बोर्ड के हुक्म का ही हम पालन करेंगे। भारत संविधान की धारा 25 के तहत मजहबी आजादी मिली हुई है। इसे कोई रोक नहीं सकता है। इस्लाम धर्म में हस्तक्षेप स्वीकार नहीं है। 1400 साल पहले ही मजहबी कानून अल्लाह ने बनाया था। मजहबी कानून में न कुछ हम बढ़ा सकते हैं न ही घटा सकते हैं। यह दबाव में लिया निर्णय है।

मोहम्मद इमरान काजमी, शहर मुफ्ती

मजहबी आजादी में किसी का हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस कानून को 1400 साल पहले खुद अल्लाह ने बनाया था। मुस्लिम पसर्नल बोर्ड का जो हुक्म होगा, उसका हम पालन करेंगे। इसके अलावा किसी भी कानून आदि का पालन या हस्तक्षेप स्वीकार नही है।

हाजी रिजवान अहमद कुरैशी, सदर

मुस्लिम इंतजामिया कमेटी

तीन तलाक का मामला राजनीतिक मामला नहीं है। यह हमारे मजहब का मामला है। इस्लाम धर्म में महिलाओं के अधिकारों को पूर्ण सरंक्षण दिया गया है और हम मजहब के साथ हैं। धर्म के विपरीत जाकर कोई कार्य नहीं किया जाना चाहिए। मजहबी कानून को ही हम मानते हैं।

फानूस इकराम, निवर्तमान चेयरमैन, सिकंदराराऊ

भारत एक धर्म निरपेक्ष मुल्क है। यहां पर संविधान में धाíमक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। इसके तहत शरीयत और कुरान के अंदर हमारी पूरी आस्था है। हमारी आस्था को लेकर किसी अदालत या सरकार का कानून द्वारा बदलाव नहीं किया जा सकता है। मुस्लिम बोर्ड को जो भी हुक्म होगा, उसका पालन किया जाएगा।

चौधरी भाजुद्दीन, पूर्व सपा जिलाध्यक्ष

भारतीय संविधान में आस्था रखते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय सोच समझ कर दिया है। अल्लाह ने भी फरमाया है कि बिना किसी सोच व वजह के किसी मसूरात को तलाक न दिया जाए। यह बहुत बड़ा गुनाह है, क्योंकि दो दिल टूटते हैं। जो लोग ऐसा करते हैं, वह इस्लाम को मानने वाले नहीं होते हैं।

डॉ. रईस अहमद अब्बासी, सदर

आल इंडिया शेख अब्बास कमेटी


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