सांसद निधि के कार्य में एक संस्था पर ज्यादा मेहरबानी
विडंबना -आरटीआइ के तहत मांगी है सांसद निधि के कार्यों जानकारी -ग्रामीण अभियंत्रण विभाग से कराए गए हैं ज्यादातर कार्य
संवाद सहयोगी, हाथरस : सांसद व विधायक निधि से एक ही सरकारी संस्था से कार्य कराए जाने पर सवाल उठने लगे हैं। इसे लेकर एक समाजसेवी ने आरटीआइ के माध्यम से सांसद निधि से अब तक कराए गए सभी कार्यों का विवरण मांगा तो विभाग में खलबली मच गई। अब इसका पूरा विवरण ग्रामीण अभियंत्रण विभाग से उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं।
शासन ने जनप्रतिधिनियों की निधि से कराए जाने वाले कार्यों के लिए किसी भी सरकारी संस्था से कार्य कराने का शासनादेश जारी किया था, लेकिन जिले के अधिकारी ज्यादातर कार्य ग्रामीण अभियंत्रण विभाग से कराने के आदेश देते रहे। बताया जा रहा है कि इसी संस्था के पास जन प्रतिनिधियों के 80 से 90 फीसद कार्य कराए जा रहे हैं, जबकि जिले में सरकारी क्षेत्र में ही तमाम संस्थाएं निर्माण कार्यों में लगी हुई हैं। ऐसे में इसी संस्था की गुणवत्ता पर अधिकारियों का सबसे ज्यादा भरोसा क्यों है? इसे लेकर तमाम तरह के सवाल उठने शुरू हो गए हैं। बताया जा रहा है कि जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने चहेते ठेकेदारों को खुश करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। इसी संस्था में सबसे अधिक ठेकेदारों का पंजीकरण भी किया जा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता रामगोपाल दीक्षित निवासी धौरपुर ने सांसद निधि से अब तक कराए गए कार्यों का पूरा विवरण सूचना अधिकार अधिनियम के तहत मांगा, जिसमें कराए गए कार्यों की सूची, मेजरमेंट बुक की प्रति, निधि में अब तक मिली कुल धनराशि व उसके खर्च की प्रमाणित प्रति उपलब्ध कराने की मांग की है। निधि के कार्य किन-किन संस्थाओं से कराए गए हैं। इसके मस्टरोल, भौतिक सत्यापन आदि का भी पूरा विवरण मांगा है। अब विभागीय अधिकारियों ने इन सूचनाओं को उपलब्ध कराने के लिए ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अधिशासी अभियंता को निर्देशित किया है।