युवाओं में मोबाइल वॉलेट का बढ़ रहा क्रेज
आधुनिक हो रहे युवा लेन-देन के लिए ले रहे डिजिटल माध्यम का सहारा प्रभाव क्यूआर कोड व मोबाइल नंबर के जरिए भुगतान करना अब ट्रैंड बना -तकनीकि ज्ञान में कमी के कारण
जागरण संवाददाता, हाथरस : मोबाइल वॉलेट स्मार्टफोन यूजर्स के जीवन का हिस्सा बन गए हैं। खासकर युवाओं का। मोबाइल व डिश रिचार्ज से लेकर ग्रोसरी, बिजली आदि बिलों के पेमेंट के लिए इनका बढ़चढ़ कर प्रयोग हो रहा है। छोटे शहरों में भी इनकी उपयोगिता कम नहीं। क्यूआर कोड व मोबाइल नंबर के जरिए भुगतान करना अब ट्रैंड बन चुका है। यह शौक साइबर अपराधियों के फलने-फूलने की वजह भी बना है। मोबाइल वॉलेट : मोबाइल वॉलेट का अर्थ है कि वे मोबाइल एप्लीकेश जो कि डिजिटल माध्यम से आर्थिक लेन-देन करती हैं। मसलन पेटीएम, फोन-पे, फ्री चार्ज, एसबीआई योनो एप आदि। वाट्सएप के बाद मोबाइल वॉलेट एप्लीकेशंस सबसे लोकप्रिय हैं। इन्हें डिजिटिलाइजेशन में आर्थिक क्रांति की वजह माना जा सकता है। नोटबंदी की सफलता में इनका अहम योगदान रहा। इसलिए पिछले कुछ वर्षों में इनका प्रयोग बेतहाशा बढ़ा है। तकनीक की प्रारंभिक जानकारी होने के कारण हर युवा के मोबाइल में ये एप्लीकेशंस देखी जा सकती हैं। बड़े काम के एप: ये एप्लीकेशंस बड़े काम हैं। सीधे बैंक अकाउंट लिक कर या फिर डेबिट-क्रेडिट कार्ड की मदद से भुगतान व लेन-देन किया जा सकता है। इससे ऑनलाइन मोबाइल रिचार्ज, डीटीएच रीचार्ज, बिजली, डेटाकार्ड व अन्य बिल पेमेंट, मर्चेंट प्वाइंट पर खरीदारी के दौरान पेमेंट की सुविधा मिलती है। शहर में जगह-जगह दुकानों पर मोबाइल वॉलेट क्यूआर कोड लगे देखे जा सकते हैं। तीन तरह के मोबाइल वॉलेट होते हैं। इनमें क्लोज्ड, सेमी-क्लोज्ड व ओपन वॉलेट होते हैं। पेटीएम, फोन-पे सेमी-क्लोज्ड वॉलेट के उदाहरण हैं। ओपन वॉलेट में कैश निकालने की सुविधा बढ़ जाती है।
खतरनाक भी : एटीएम कार्ड की अपेक्षा मोबाइल वॉलेट से फ्राड की घटनाएं बढ़ी हैं। इसका मूल कारण तकनीकी ज्ञान का अभाव है। युवा एप तो इंस्टॉल कर लेते हैं। साथ ही अपने बैंक अकाउंट भी लिक कर लेते हैं, लेकिन सुरक्षा उपायों की जानकारी नहीं होती। अब पेमेंट रिसीव करने की आड़ में ठगी हो रही है। रिसीव करने के दौरान भी वॉलेट पिन डाल देते हैं, जिससे खाता खाली हो जाता है।
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युवाओं के बोल
मोबाइल वॉलेट ने दैनिक कार्य सुलभ किए हैं। कैश लेकर घूमने का झंझट नहीं। ग्रॉसरी स्टोर से लेकर पेट्रोल पंप तक पर भुगतान की सुविधा है। एसबीआई की योनो एप तो बिना कार्ड के एटीएम से कैश निकालने की सुविधा दे रही है।
शुभम अग्रवाल, मोबाइल वॉलेट यूजर
व्यापारिक ²ष्टिकोण से भी मोबाइल वॉलेट उपयोगी है। नोटबंदी के बाद इन्हीं एप्लीकेशंस से काफी मदद मिली। डिजिटल लेन-देन का यह सुलभ माध्यम है। जिस भी एप्लीकेशन का प्रयोग कर रहे हैं, उसकी पूरी जानकारी जरूरी है। वॉलेट पिन व ओटीपी के बिना कोई फ्रॉड नहीं हो सकता। लोगों को सतर्क रहना चाहिए।
आयुष अग्रवाल, नमकीन कारोबारी