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विकासपरक सोच के साथ बढ़ रहा हाथरस का दायरा फोटो-18 प्रतिस्पर्धा के दौर में हाथरस के उ
विकासपरक सोच के साथ
बढ़ रहा हाथरस का दायरा
फोटो-18
प्रतिस्पर्धा के दौर में हाथरस के उद्योग भी तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। उद्योग नगरी के नाम के जाने जाने वाले इस शहर का नाम आज भी यथावत है। आज यहां पर हैंडीक्राफ्ट के साथ ही रेडीमेड, हींग का कारोबार भी बढ़ता ही जा रहा है। आज चहुंओर ऊंची-ऊंची इमारतों के साथ ही दर्जनों नई कालोनियां बस गई हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी शहर लगातार तरक्की कर रहा है। यहां पर दर्जनों हाईस्कूल, इंटर कालेज के साथ ही उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी यहां पर काफी तरक्की हुई है। कच्ची गलियां भी अब पक्की नजर आ रही है। लोगों के मनोरंजन के साधनों में भी बदलाव हुआ है। मुझे वह दौर भी याद है, जब यहां पर दाल के कारखाने, काटन मिल थे लेकिन बदलते परिवेश में बेशक यहां पर काटन मिल न रही हों लेकिन हसायन में चूड़ी उद्योग, पुरदिलनगर में मूंगा-मोती उद्योग, हाथरस में गलीचा, रेडीमेड व हींग का कारोबार लगातार बढ़ रहा है। दो दशक पहले हाथरस को जिला का दर्जा मिल जाने के बाद लघु उद्योगों को लगातार बढ़ावा मिलता जा रहा है। हाथरस ने हैंडीक्राफ्ट के मामले में भी अपना जलवा कायम कर रखा है। हाथरस का नाम पश्चिमी उप्र में आलू जोन के नाम से जाना जाता है। यहां पर एक दशक से अधिक कोल्ड स्टोरेज भी है, जबकि एक जमाने में आलू किसानों को आगरा की ओर दौड़ लगानी पड़ती थी। आज यहां पर मृदा परीक्षण के लिए भी पूरे इंतजाम हैं। हैंडीक्राफ्ट, गलीचा, हींग, घी, तेल, रेडीमेड, पावरलूम जैसे तमाम उद्योगों के साथ भी यहां के लोगों की सोच भी बदली रही है। कुछ वक्त के गुजरने के बाद यहां पर और भी विस्तार होगा, क्योंकि वीरान पड़ी सलेमपुर के पास औद्योगिक नगरी भी आबाद होने लगी है। वहां पर बाहर की कंपनियों ने भी अपने उद्योग स्थापित करते हुए लोगों को रोजगार दिए हैं, जिसके कारण अन्य जिलों की ओर पलायन कर रहे लोगों पर भी ब्रेक लगा है। यह सब विकास परक सोच की देन है, युवाओं को भी अनेक योजनाओं के प्रति जागरूक कर प्रशिक्षित किया जा रहा है।
जय प्रकाश तिवारी, जिलाध्यक्ष
अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार एसोसिएशन, हाथरस
हाथरस जिले का हाल
ग्राम पंचायतें - 474
गांव - 673
मजरे - 672
ब्लाक - 07
तहसील - 04