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मेहंदी का रंग भी नहीं उतरा, उजड़ गया ¨सदूर

जागरण संवाददाता, हाथरस : निशा के हाथों पर रची मेहंदी का अभी रंग भी फीका नहीं पड़ा था

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Dec 2017 12:05 AM (IST)Updated: Sat, 09 Dec 2017 12:05 AM (IST)
मेहंदी का रंग भी नहीं  उतरा, उजड़ गया ¨सदूर
मेहंदी का रंग भी नहीं उतरा, उजड़ गया ¨सदूर

जागरण संवाददाता, हाथरस : निशा के हाथों पर रची मेहंदी का अभी रंग भी फीका नहीं पड़ा था कि उसकी मांग का ¨सदूर उजड़ गया। मुरसान के गांव चमरुआ में करंट से जिस देवस्वरूप की मौत हुई है, उसकी शादी पंद्रह रोज पहले ही हुई थी। जिस घर में कल तक खुशियां बिखर रही थीं, आज वहां मातम था। दुल्हन निशा के करुण क्रंदन से लोग सिहर उठे।

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चमरुआ के पीआरडी जवान बनी सिंह के इकलौते बेटे देवस्वरूप की शादी 24 नवंबर को ही हुई थी। आगरा के नराइच (रामबाग) निवासी राजू ¨सह की बेटी निशा घर में दुल्हन बनकर आई थी। घर में कल तक खुशी का माहौल था। कुछ खास रिश्तेदार तो विदा तक नहीं हुए थे। शुक्रवार को सुबह इस परिवार की खुशियों को ग्रहण लग गया और वे मातम में बदल गईं। करंट जहां देवस्वरूप का काल बन गया तो पिता व दो पड़ोसी भी झुलसे हुए जिला अस्पताल में भर्ती हैं।

देवस्वरूप की पत्नी निशा का रो-रोकर बुरा हाल था। उसके हाथों की मेहंदी भी अभी नहीं छूटी है, मगर मांग उजड़ गई। उसकी दहाड़ों से लोगों के दिल दहल उठे। पोस्टमार्टम के बाद शव जब गांव में पहुंचा तो आसपास के गांवों के लोग भी उमड़ पड़े। देवस्वरूप की अंतिम विदाई के वक्त हर आंख नम थी।

घर का 'चिराग' बुझने से काफी

देर तक अनजान रहे माता-पिता

घर के 'चिराग' देव स्वरूप की तो मौत हो गई, मगर पिता बनी ¨सह भी उसी हादसे में झुलसे थे, सो वे जिला अस्पताल में भर्ती थे। उनके साथ उनकी पत्नी भी थी। दोनों बदहवास थे, ऐसे में किसी की हिम्मत नहीं हुई कि उन्हें यह बता दें कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा। मां जब बेटे के बारे में जानना चाहती तो लोग उसे यह कहकर दिलासा देते कि उसे इलाज के लिए ले गए हैं और अभी उसका मोबाइल बंद जा रहा है। दोपहर बाद जब बनी¨सह की हालत में कुछ सुधार दिखा तब उन्हें बेटे की मौत की जानकारी दी गई। इसके बाद तो बनी¨सह और उनकी पत्नी का अस्पताल में ही हाल बेहाल हो गया।

इत्तफाकिया हादसे की दी तहरीर

मुरसान कोतवाली प्रभारी निरीक्षक डीके सिसौदिया के मुताबिक हादसे की सूचना पर वे गांव चमरुआ पहुंचे थे। उन्हें वहां कैंटर नहीं मिला। सिर्फ यह बताया गया कि कैंटर बनी ¨सह के रिश्तेदार का था। रिश्तेदार कौन था और कहां का रहने वाला है इस बाबत कोई जानकारी परिजनों ने नहीं दी। घटना की जो तहरीर दी गई है उसमें भी उसका जिक्र नहीं है। मामला इत्तफाकिया हादसे में दर्ज कर लिया गया है।


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