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प्यार ले आया गांव, पेट ले जाएगा शहर

संस हाथरस यह कहावत गलत नहीं है कि बुरे वक्त में अपने घर और गाव की याद आती है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 01:11 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 07:33 AM (IST)
प्यार ले आया गांव, पेट ले जाएगा शहर
प्यार ले आया गांव, पेट ले जाएगा शहर

संस, हाथरस : यह कहावत गलत नहीं है कि बुरे वक्त में अपने घर और गाव की याद आती है। कोरोना महामारी के कारण शहरों में बेरोजगार हुए लोगों की हालत भी कुछ ऐसी ही है। शहरों में आम जनजीवन ठप होने के बाद लोगों ने अपने गाव का रुख करना मुनासिब समझा और आज हालत यह है कि अधिकाश गावों से शहर में काम करने गए लोग वापस आ चुके हैं और उन्हें रोजगार न होने के कारण यहा आर्थिक दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है।

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क्षेत्र के गाव जरेरा निवासी पंकज कुमार शर्मा मुंबई में जूस बेचते थे। जब मुंबई में कोरोना संक्रमण तेजी के साथ फैला और वहा सब कुछ ठप हो गया तो लॉकडाउन होने पर कई दिन भूखे प्यासे रहकर समय काटा। जैसे ही मौका लगा, वहा से पैदल ही गाव के लिए निकल पड़े। रास्ते में जगह-जगह ट्रक एवं अन्य वाहनों का सहारा लेते हुए बमुश्किल अपने गाव पहुंच पाए। अब उनको लॉकडाउन के समाप्त होने का इंतजार है।

उनका कहना है कि गाव में दो वक्त की रोटी के लिए तो जुगाड़ हो जाएगा। भविष्य बनाना है, तो शहर में काम करना पड़ेगा। खेतीबाड़ी इतनी है नहीं कि सभी का गुजारा हो जाए। पिताजी के पास जमीन काफी कम है। उसमें हम चार भाई हैं। सभी का परिवार है, इसलिए खेतीबाड़ी से खर्च चलाना मुश्किल है। बिना काम-धंधे के गुजारा कैसे होगा। लॉकडाउन में पाबंदिया कम होने की उम्मीद तो है, लेकिन अभी शहरों में काम धंधा शुरू होने में कितना समय लगेगा, यह कहना बहुत मुश्किल है।


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