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बेटियों की सुरक्षा को कानून सख्त है, परिवेश सुधारें

दैनिक जागरण के पाठक पैनल में बालिकाओं की सुरक्षा को लेकर रखे गणमान्यों ने रखे विचार

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 Nov 2019 06:30 AM (IST)Updated: Sat, 30 Nov 2019 06:30 AM (IST)
बेटियों की सुरक्षा को कानून सख्त है, परिवेश सुधारें
बेटियों की सुरक्षा को कानून सख्त है, परिवेश सुधारें

संवाद सहयोगी, हाथरस : बेटियों की सुरक्षा को लेकर अभिभावक हर वक्त चितित रहते हैं। फिर चाहे अकेले सफर करने की बात हो या बेटियों के स्कूल जाने व आने को लेकर। दैनिक जागरण ने शुक्रवार को अपने कार्यालय पर बेटियों की सुरक्षा के विषय पर पाठक पैनल का आयोजन किया। इसमें सामाजिक संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों, शिक्षक, व्यापारी आदि ने अपनी राय रखी।

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बागला महाविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सुनंदा महाजन का कहना था कि बेटियों के यौन शोषण के जो मामले बढ़ रहे हैं, उसके लिए काफी हद तक समाज जिम्मेदार है। लड़कों को नैतिक शिक्षा का ज्ञान जरूरी है। मानसिक विकृति वाले लोगों की नियमित काउंसलिग करानी चाहिए। पुलिस तंत्र को मजबूत करने की जरूरत है। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रीति वर्मा ने कहा कि घर में लड़कों को बात समझानी चाहिए कि वे बालिकाओं का सम्मान करें। छोटी बच्चियों को अकेले घर से न निकलने दें। मॉडल प्राइमरी स्कूल नगला इमलिया की हेड शिक्षिका रितु वशिष्ठ का कहना था कि कानून तो सख्त है, परिवेश सही होना चाहिए। सेक्सुअल एजूकेशन की जानकारी विद्यालयों में दी जानी चाहिए। बैड टच व गुड टच के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए। बच्चों की गतिविधियों पर अभिभावकों को नजर रखनी चाहिए। 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं' की जिला संयोजक (भाजपा) शालिनी पाठक का कहना था कि मां सबसे बड़ी गुरु होती है। परिवार के अंदर बालक व बालिकाओं की शिक्षा में भेदभाव नहीं होना चाहिए। अगर किसी बच्ची के साथ कोई घटना हो तो उसे चुप्पी साधने की जगह अपने अभिभावकों को जानकारी देनी चाहिए। मां-बेटी के मध्य एक दोस्त जैसा तालमेल होना चाहिए। बचपन से ही बच्चियों को सेल्फ डिफेंस का प्रशिक्षण दिलाना चाहिए। महिला कल्याण अधिकारी मोनिका गौतम का कहना था बेटियों की सुरक्षा के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, उनका लाभ बच्चियों को दिलाना चाहिए। अध्यापक संघ को स्कूलों में बताया जाता है कि यदि किसी बालिका के स्वभाव में अंतर आ रहा है तो उस पर विशेष नजर रखें। महिला शिक्षिकाएं बच्चियों के साथ प्रेम पूर्वक व्यवहार रखें। जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी सुचिका सहाय ने कहा कि पुरुष प्रधान देश में बदलाव की जरूरत है। लोगों को अपनी सोच बदलने की जरूरत है। स्कूलों में जागरूकता के कार्यक्रम नियमित होने चाहिए। अशोक कपूर, पूर्व गवर्नर लायंस क्लब हाथरस का कहना था टीवी व स्मार्ट फोन पर अश्लीलता परोसी जा रही है। इस पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगना चाहिए। सेंसर बोर्ड को भी आपत्तिजनक सीनों पर बैन लगाना चाहिए। स्कूल व कॉलेजों में बेटियों की सुरक्षा को लेकर नियमित गोष्ठी आयोजित करानी चाहिए। कंप्यूटर सेंटर संचालक योगेश कुमार ओके का मानना है कि सिस्टम को दुरुस्त करना जरूरी है। आज भी तमाम ऐसे मामले होते हैं, जहां पुलिस के द्वारा उनको दर्ज नहीं किया जाता। बालिकाओं की सुरक्षा को लेकर नियमित कार्यक्रम स्कूल व कॉलेजों में होने चाहिए। राजकुमार पाठक का कहना था कि छेड़छाड़ के कई मामले ऐसे होते हैं, जहां बालिकाओं के शिकायत करने पर उनके अभिभावक उनको पढ़ाना बंद करा देते हैं। इसलिए अभिभावकों को बेटियों के साथ अच्छी तरह बर्ताव करना चाहिए। व्यापारी राजीव माहेश्वरी का कहना था कि बेटियों की सुरक्षा के लिए गांवों में जन जागरण कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। इसके साथ ही हेल्पलाइन नंबर आदि सार्वजनिक जगहों के अलावा हर स्कूल पर अंकित होने चाहिए। प्रवीण कुमार वाष्र्णेय का कहना था कि दूसरे देशों में सेक्स को लेकर एजूकेशन बच्चों को दी जाती है। बच्चों को पता रहना चाहिए कि क्या सही है, क्या गलत। शिक्षण संस्थाओं को बालिकाओं से जुड़ी सुरक्षा को लेकर कार्यक्रम समय-समय पर कराने चाहिए।


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