डॉक्टरों के साथ न्यायिक अनुमति बहुत जरूरी
जागरण संवाददाता, हाथरस : इच्छामृत्यु को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पक्ष में डॉक्टर, वक
जागरण संवाददाता, हाथरस : इच्छामृत्यु को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पक्ष में डॉक्टर, वकील और सामाजिक संस्थाएं भी हैं। उनकी मांग है कि इच्छामृत्यु का दुरुपयोग न हो। उच्च न्यायिक अधिकारी के साथ परिजनों की अनुमति बहुत ही जरूरी है। इसके अलावा वरिष्ठ चिकित्सकों का प्रमाण पत्र भी इसके दुरुपयोग न होने में मदद करेगा। हकीकत में देखा जाए तो यह निर्णय उनके पक्ष में है, जो लाइलाज बीमारी से पीड़ित, लंबे समय से कोमा में पड़े हुए हैं, या फिर शारीरिक रूप से अक्षम घोषित हो चुके हैं। हालांकि अभी तक इस मामले में कोई भी आवेदन तो नहीं हुआ है।
इनका कहना है-
मेरे पास कोई मरीज इच्छामृत्यु वाला नहीं आया है। मरीज को हरसंभव बचाने का प्रयास डॉक्टर द्वारा किया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया है, वह सही है। कोमा पीड़ितों या फिर ऐसे मरीज जिनके ठीक होने की संभावना नहीं हो, उसे इच्छामृत्यु दी जाए। इसके लिए डाक्टरों के साथ ही उच्च न्यायिक अधिकारी की अनुमति जरूरी है।
डॉ. नवनीत अरोरा, ईएनसी सर्जन
मेडिकल के हिसाब से जो मरीज अक्षम घोषित हों व जो कई सालों से बिस्तर पर पड़े हों, उसे इच्छामृत्यु का अधिकार है। इसके लिए परिजनों के अलावा न्यायिक अधिकारी की सहमति भी जरूरी है। इसका दुरुपयोग न हो, इस पर भी पूरा ध्यान दिया जाना होगा।
डॉ. सूर्य प्रकाश, वरिष्ठ चिकित्सक
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सही है। जो मरीज सालों से बिस्तर पर पड़ा हो, जो चलने-फिरने के साथ उठ न सकता हो, सालों से कष्ट झेल रहा हो, उसे इच्छामृत्यु का अधिकार है। मरीज व उसके परिजनों की सहमति से पहले न्यायिक अधिकारी की अनुमति भी जरूरी है।
एलएन शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता
आज के दौर में ऐसे कई मरीज है, जो सालों से बिस्तरों पर पड़े हैं। उनके परिजनों द्वारा हर संभव इलाज कराया जाता है। हालांकि यह निर्णय सही है, लेकिन परिजनों का प्रयास रहता है कि उनका मरीज जल्द से जल्द ठीक हो। इसके लिए वह भाग दौड़ भी करते हैं। सामाजिक संस्थाएं भी मरीज हित में काफी संघर्ष करती हैं।
शरद सिंघल, समाजसेवी