बिना ट्रीटमेंट के बढ़ा रहे वायु और जल प्रदूषण
शहर में बिना ट्रीटमेंट के उद्योग धंधे वायु और जल प्रदूषण फैला रहे हैं। औद्योगिक आस्थानों के अलावा रिहायशी इलाकों में चल रहे कारखानों से जल प्रदूषण रोकने के लिए सैंपल लेने की कार्रवाई भी नहीं हो रही है।
जासं, हाथरस : शहर में बिना ट्रीटमेंट के उद्योग धंधे वायु और जल प्रदूषण फैला रहे हैं। औद्योगिक आस्थानों के अलावा रिहायशी इलाकों में चल रहे कारखानों से जल प्रदूषण रोकने के लिए सैंपल लेने की कार्रवाई भी नहीं हो रही है। कोर्ट के आदेश के बावजूद रिहायशी इलाकों में अवैध रूप से चल रहे उद्योगों पर कार्रवाई न होने से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।
ये हैं हालात : जनपद में पॉवरलूम और हैंडलूम के काम में कपड़ों की रंगाई होती है। इसके अलावा नील और रंगों का भी काम बड़े पैमाने पर होता है। अचार-मुरब्बा व जैली बनाने की फैक्ट्री भी चल रही हैं। इसके अलावा डेयरियां भी चल रही हैं। इसके अलावा, प्लास्टिक के सामान, हार्डवेयर, आर्टवेयर और अन्य कार्यों में भट्ठियों का प्रयोग किया जाता है। छोटी व बड़ी चिमनियों के माध्यम से धुआं खुले में छोड़ दिया जाता है। इनसे वायु प्रदूषण होता है। पॉलिश के काम में एसिड व अन्य रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इन कारखानों में प्रयोग होने वाले रसायन पानी के साथ बिना ट्रीटमेंट के छोड़ दिए जाते हैं।
12 उद्योगों में ही ट्रीटमेंट :
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड विभाग की मानें तो शहर में अलीगढ़ रोड और सलेमपुर इंडस्ट्रियल एरिया के अलावा रुहेरी पर 12 उद्योगों में पानी का ट्रीटमेंट किया जाता है। इसमें कपड़े रंगने के अलावा अचार- मुरब्बा फैक्ट्री और डेयरियां भी शामिल हैं।
यह हैं नियम :
जो फैक्ट्रियां जल और वायु प्रदूषण में सहायक हैं, उनके यहां हर तीन महीने बाद सैंपलिग होनी चाहिए। यहां प्रदूषण नियंत्रण विभाग का दफ्तर नहीं है, इस वजह से समय पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। रिहायशी इलाकों में कोई फैक्ट्री नहीं चल सकती। वर्जन--
जिन उद्योगों से जल प्रदूषण की संभावना रहती है उनकी सैंपलिग समय-समय पर कराते रहते हैं। वायु प्रदूषण का परीक्षण करने के लिए अभी कोई इंतजाम नहीं है। रिहायशी इलाकों में इस तरह के किसी उद्योग का संचालन नहीं किया जा सकता है। शिकायत आने पर कार्रवाई की जाती है।
रामगोपाल, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड