पालन-पोषण में लाचारी पशुओं में बढ़ रही बीमारी
गोशाला में पशुओं को दिया जा रहा सिर्फ सूखा भूसा चार-चार लाख रुपये प्रति ब्लॉक को दिया गया खर्चे को
जासं, हाथरस : शासन के सख्त निर्देशों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में निराश्रित पशुओं की देख-रेख हवा-हवाई है। खुले में बांधे गए इन पशुओं पर बारिश, ओलावृष्टि का सीधा प्रहार है। नतीजतन पशु बीमार होकर दम तोड़ रहे हैं। यह तब है जब शासन इनकी देखभाल को जनवरी में ही एक करोड़ रुपये जनपद को अवमुक्त कर चुका है।
दैनिक जागरण ने मंगलवार को गांव कोठीकपूरा की गोशाला की पड़ताल की। यहां कुछ मजदूर गोशाला का गेट बना रहे थे। पशुओं के लिए जो भूसा पड़ा था वह भी मिट्टी में मिल गया। पशु इस भूसे को खाने में कतरा रहे हैं। पशुओं के लिए गड्ढा खोद कर जहां पीने के पानी की व्यवस्था की है वह पानी नहाने लायक भी नहीं है। नियम के मुताबिक पशुओं के खाने के भूसे व पीने के पानी के लिए नाद की व्यवस्था होनी चाहिए लेकिन अधिकांश गोशाला में ऐसा नहीं है। रोजाना ही भूसे की बुग्गी गोशालाओं में पहुंचती है और यह भूसा गोशाला की जमीन की मिट्टी में मिल जाता है। गांव कोठीकपूरा अस्थायी गोशाला में प्रधान पति नारायण हरि ने बताया कि गोशाला में कुल 159 बे-सहारा पशु हैं। अब तक कुल 5,880 रुपये खर्च को मिला है। 30 रुपये प्रति पशु प्रति दिन के हिसाब से पशुओं का पालन मुश्किल हो रहा है।
320 गो संरक्षण समिति पर है पशुओं की सुरक्षा का जिम्मा
जनपद की 474 ग्राम पंचायत में अस्थायी गोशालाओं में पशुओं की देख-रेख को 320 गो संरक्षण समितियों का गठन हुआ था। इन समितियो पर पशुओं की देख-रेख का जिम्मा था, लेकिन जनपद की अधिकांश गोशाला में लगातार पशुओं की संख्या कम होती जा रही है। कई अस्थाई गोशालाओं से पशु निकलकर भाग चुके हैं।
ब्लॉक, पशुओं की संख्या, अस्थायी गोशालाएं
हाथरस, 125,5
सादाबाद,757,8
सासनी,2300, पराग-डेयरी
सहपऊ 270,8
मुरसान,60,2
सिकंदराराऊ 306,4
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वर्जन
पशुओं के बीमार होने की सूचना पर तुरंत चिकित्सीय टीम को रवाना किया है। बीमार गोवंशीय पशु को उपचार दिया गया है। ग्राम प्रधान, सचिव व समितियों को निर्देश दिए हैं कि वह गोवंशीय पशुओं की देखभाल में कमी न रखें। शीघ्र ही जनपद में संचालित गोशालाओं का निरीक्षण भी किया जाएगा। जहां लापरवाही मिली वहां संबंधित के खिलाफ कार्रवाई होगी।
एसपी ¨सह, सीडीओ
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जिन पशुओं के घायल व बीमार होने की शिकायतें मिलती हैं उन्हें तुरंत उपचार हमारे चिकित्सक व स्टाफ मुहैया करा रहे हैं। अब तक 300 से अधिक पशुओं का इलाज कराया जा चुका है। पशुओं की सुरक्षा व देख-रेख की मूल जिम्मेदारी ग्राम प्रधान व गांव में गठित कमेटी की है।
डा.एनसी पाल, उपमुख्य चिकित्साधिकारी
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30 रुपये प्रति पशु में पशुओं की देखभाल मुश्किल हो गई है। सुबह दी गई सूचना पर शाम को चिकित्सीय टीम पहुंची। गोवंशीय पशु की हालत गंभीर है। बचने की उम्मीद कम है।
नारायण हरि, प्रधानपति गांव कोठीकपूरा