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जेब में आए रुपया तो दौड़ेगा बाजार का पहिया

पाठक पैनल फोटो 11 सब हेड दैनिक जागरण के पाठक पैनल में कारोबारियों ने रखे विचार क्रॉसर- नकदी पर रोक से बाजार में आई है गिरावट सरकार लाए योजनाएं

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Aug 2019 12:28 AM (IST)Updated: Thu, 29 Aug 2019 12:28 AM (IST)
जेब में आए रुपया तो दौड़ेगा बाजार का पहिया
जेब में आए रुपया तो दौड़ेगा बाजार का पहिया

जासं, हाथरस: वैश्विक मंदी के कारण कारोबारी चितित हैं। बाजार में गिरावट के कारण हाथरस के उद्योग भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उत्पादन में भारी गिरावट आई है। इसको लेकर दैनिक जागरण ने बुधवार को पाठक पैनल का आयोजन किया। इसमें शहर के प्रमुख उद्यमियों ने मंदी के कारणों पर मंथन किया, साथ ही सरकार से बाजार को उभारने के लिए कई अपेक्षाएं भी व्यक्त कीं। मंदी से उभरने के लिए कई सुझाव भी साझा किए।

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पाठक पैनल अलीगढ़ रोड स्थित जैक डोनाल्ड रेस्टोरेंट में आयोजित किया गया। इसमें शामिल एक्सपोर्टर और पीतल कारोबारी भोलानाथ अग्रवाल ने कहा कि 70 वर्षाें में पहली बार इस तरह की मंदी का सामना करना पड़ा रहा है। देश ही नहीं विदेशों में भी यही हालात हैं। रियल एस्टेट में गिरावट के कारण ब्रास, स्टील, जिक, कॉपर मेटल हार्डवेयर के ऑर्डर आधे रह गए हैं। निर्यात में भी भारी गिरावट है। हालांकि अर्थव्यवस्था की थ्योरी के हिसाब से गिरावट के बाद उभार भी जल्द आएगा।

दाल कारोबारी और दी हाथरस मर्चेंट चेंबर के सचिव प्रदीप गोयल ने कहा कि कृषि क्षेत्र में मजबूती के बिना मंदी से उभरना मुश्किल है। सरकार को विभिन्न विकसित देशों की अर्थव्यवस्था को फॉलो करने से पहले अपने देश की अर्थ व्यवस्था, लोगों की शिक्षा, जागरूकता का ध्यान रखना चाहिए।

हींग कारोबारी राकेश बंसल ने कहा कि डिजिटल ट्रांजेक्शन से पूरा पैसा बैंकों में पहुंच गया है। आज भी 80 फीसद लोग डिजिटल ट्रांजेक्शन नहीं जानते। पैसा बैंक में होने के कारण लोगों की जेब खाली है, इससे बाजार से रौनक गायब है। रंग कारोबारी बांके बिहारी अग्रवाल बोले कि आज के हालात को देखते हुए रंग कारोबार खतरे में है। पैसे का अभाव तो एक दूसरा कारण है, जीएसटी दरों की अनियमितताओं से कारोबार उभर नहीं पा रहा है। कच्चे माल और उत्पादों की जीएसटी दरों के कारण रंग कारोबार का भविष्य खतरे में नजर आ रहा है।

कारोबारी अभय गर्ग ने कहा कि गवर्नमेंट विभिन्न वेतनमान लगाकर कर्मचारियों की तनख्वाह तो बढ़ा देती है लेकिन उनके खर्च का आकलन नहीं करती। यह पैसा ज्यादातर एफडीआर व अन्य सेविग में चला जाता है और बाजार में नहीं पहुंचता। यह भी मंदी का एक कारण है। कारोबारी धर्मेंद्र वाष्र्णेय ने कहा कि नोट बंदी, जीएसटी जैसे निर्णयों से बाजार में अनियमितता है। सरकार विभिन्न योजनाओं के जरिये उद्यमियों, किसानों, नौकरीपेशा लोगों में भरोसा आत्म विश्वास पैदा करे इससे मंदी से उभरा जा सकता है। इस दौरान कारोबारी अशोक अग्रवाल, रतन राठी, अभिषेक कपूर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सुझाव :

बाजार में सरकार का हस्तक्षेप सीमित हो।

लघु उद्योगों के लिए रियायत जरूरी है।

किसानों को फसलों का उचित मूल्य मिले।

लोगों की इनकम में कमी आई है तो खर्चा भी कम करें। अपेक्षा

जीएसटी स्लैब पर फिर से मंथन किया जाए।

भारत नकदीकरण का बाजार है। पूरी तरह से बैकिग पर निर्भर नहीं रहा जा सकता।

सरकार उत्पादों, कच्चे माल, मशीनों और अन्य जरूरत की चीजों में सब्सिडी दे।

इलेक्ट्रीसिटी बिल की दरों को कम किया जाए।

योजनाएं बनाकर मंदी को दूर किया जाए।


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