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'वतन की पाक मिट्टी को नमन सौ बार करता हूं'

संवाद सूत्र, हाथरस : सिकंदराराऊ में शनिवार की सुबह से पड़ रही भीषण गर्मी के बाद जब शाम को

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Jun 2018 11:46 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jun 2018 11:46 PM (IST)
'वतन की पाक मिट्टी को  नमन सौ बार करता हूं'
'वतन की पाक मिट्टी को नमन सौ बार करता हूं'

संवाद सूत्र, हाथरस : सिकंदराराऊ में शनिवार की सुबह से पड़ रही भीषण गर्मी के बाद जब शाम को आधी बारिश के बाद मौसम खुशगवार बना तो सरस्वती विद्या मंदिर में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में कवियों ने अपनी रचनाओं की बारिश से श्रोताओं को सराबोर करते हुए खूब हंसाया, गुदगुदाया तथा ओज की कविताओं से उनमें जोश भी भरा।

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संचालन सर्वेश अस्थाना ने किया। कवि सम्मेलन का शुभारम्भ गीतकार डा. कीर्ति काले की सरस्वती वंदना से हुआ। सौरभ टण्डन सुनाया, 'भोर असम की शाम अवध की, लगती बहुत सुहानी है, ग्ागा यमुना के घाटों पर लिखता समय कहानी है, प्रेम रंग चढ़ता पल भर में, छूकर इसको देखो तो, जादू है इस मिट्टी में यह, मिट्टी हिन्दुस्तानी है।' जबलपुर के सुदीप भोला ने पैरोडियों से खूब हंसाया।

वीर रस के कवि प्रख्यात मिश्रा ने इस तरह जोश भरा, 'बोटी-बोटी कट जाऊं इंच-इंच बंट जाऊं, लाडला न पुरखों की नाक को कटाएगा, या तो ये तिरंगा मै लेपटकर घर आएगा मा,

या तो ये तिरंगा सीमा पर लहराएगा।'

व्यंग्य कवि मुकुल महान ने सुनाया, 'अस्पताल में वार्ड ब्वाय बोला, 'आदमी हो कि दरिंदा हो, सरकारी अस्पताल में अभी तक जिन्दा हो।'

देहरादून से आए कवि सतीश बंसल ने सुनाया, 'मोहब्बत का पुजारी हूं सभी से प्यार करता हूं, गजल गीतों रूबाई का श्रृजन सरकार करता हूं, झुकाता हूं खुदा को बाद में सर दोस्तों पहले, वतन की पाक मिट्टी को नमन सौ बार करता हूं।'

सतना से पधारे कवि अशोक सुंदरानी ने जूते पर करारा व्यग्य किया, 'जूते ने कहा हमने गरमी की तपन और सर्दी की चुभन दोनों बराबर सह कर लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाया, जब हम उतरे भगवान राम के चरणों से तो अयोध्या का शासन 14 वर्ष तक हम ही ने चलाया।' संचालन कर रहे सर्वेश अस्थाना ने सुनाया, 'रिश्तों में तकरार बहुत है, लेकिन इनसे प्यार बहुत है, सारी दुनिया खुश रखने को, बस अपना परिवार बहुत है।'

डॉ.कीर्ति काले ने गीतों से समा बाधा, 'रूप अद्भुत अविनाशी अविकार, जैसे कोई तेजपुंज हुआ साकार, खिंचता है मन उसी ओर बार-बार, तेरे जैसा छैल छबीला देखा नहीं, देख लिया सारा संसार।' मेजबान डॉ.विष्णु सक्सेना ने जब अपने मुक्तक सुनाए तो माहौल रूमानी हो गया।

'तू जो ख्वाबों में भी आ जाए तो मेला कर दे, गम के मरुथल में भी बरसात का रेला कर दे, याद है ही नहीं आए जो तन्हाई में, तेरी याद आए तो मेले में अकेला कर दे।'

अध्यक्षता कर रहे कवि शिव ओम अम्बर ने अपनी रचनाओं को शिखर तक पहुंचाया। फाकों को भी मस्ती में जीते हैं, बस्ती-बस्ती फरियाद नहीं करते, सच कहते हैं अथवा चुप रहते हैं, हम लफ्जों को बर्बाद नहीं करते।'

इस अवसर पर एडीएम सिटी अलीगढ़ एसबी सिंह, रामेश्वर उपाध्याय, हरिओम गुप्त, विपिन वाष्र्णेय, अनिल वाष्ण्र्ेाय, पदम माहेश्वरी, डॉ. नितिन मिश्रा, मुकेश चौहान, गौरीशकंर गुप्ता, भद्रपाल सिंह, जयपाल सिंह, होडिल सिंह, राजेन्द्र मोहन सक्सेना, प्रवीन वाष्र्णेय, दिनेश लोहिया, मित्रेश चतुर्वेदी आदि मौजूद थे।


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