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समाज का दमन रोकने को आऊंगा राजनीति में

कासगंज के निजामपुर में बरात निकालकर सुर्खियों में आए संजय जाटव व शीतल ने खोले मन के राज साक्षात्कार संघर्ष पर फिल्म बनाए जाने को लेकर फिर चर्चाओं में आए - जिला पंचायत के साथ विधानसभा चुनाव की भी तैयारी में जुटे

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 12:57 AM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 12:57 AM (IST)
समाज का दमन रोकने को आऊंगा राजनीति में
समाज का दमन रोकने को आऊंगा राजनीति में

हिमांशु गुप्ता, हाथरस

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कासगंज के गांव निजामपुर में जातीय बेड़ियों को तोड़कर पूरे गांव में बरात निकालने वाले संजय जाटव का संघर्ष जल्द ही रुपहले पर्दे पर दिखेगा। फिल्म निर्देशक व फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य कैलाश मासूम इनकी कहानी पर 'बैंड, बाजा और बंदूक' नाम की फिल्म बनाने जा रहे हैं। पर, हसायन ब्लॉक के छोटे से गांव बसई के रहने वाले संजय के सपने तो सियासी कुलांचे भी मार रहे हैं। वह हाथरस अथवा कासगंज से चुनावी राजनीति में दो-दो हाथ करने की तैयारी में हैं। सोमवार को संजय व उनकी पत्नी शीतल ने 'दैनिक जागरण' से भविष्य की रणनीति पर चर्चा की। आप भी पढि़ये.. कासगंज में धूमधाम से बरात निकाली। जिन्हें संदेश देना चाहते थे, क्या दे पाए?

मैं किसी को कुछ दिखाना नहीं चाहता था। मेरा मकसद रूढि़यों को तोड़ना था। उसे जनता व मीडिया की मदद से तोड़ भी दिया। गांव में कौन था, कौन नहीं, मुझे जानकारी नहीं है। पर, जब गांव में बरात निकली तो मुझे गर्व महसूस हो रहा था। पहली बार अनुसूचित जाति की बरात पूरे गांव में घूमकर चढ़ी। कैसा लगा?

शीतल : बहुत खुशी हो रही थी। साथ-साथ डर भी था कि कहीं कुछ हो न जाए। पुलिस, प्रशासन व सबके सहयोग से सब अच्छे से निपट गया। अब चीजें बदलने लगी हैं। तब ट्यूबवेल का पानी भी न मिला था। क्या क्या स्थिति है?

शीतल : जी हां, आज भी वही हालात हैं। गांव में हमारी बिरादरी की करीब 40 बीघा खेती है। अप्रैल में पानी रोकने से खीरा, ¨भडी, लौकी, तोरई की फसल बर्बाद हो गई थी। हजारों का नुकसान हुआ था। अब बाजरा बोया है। किसी के पास इतने पैसे नहीं कि खुद बो¨रग करा सकें। मुझे भरोसा है कि गांव वाले एक रोज हमें आम इंसान मान लेंगे। अब तो आपके संघर्ष पर फिल्म बन रही है। आइडिया किसने दिया?

संजय : हंसते हुए.. आप सोच रहे होंगे यह मेरा प्लान है, पर ऐसा नहीं है। बरात वाला प्रकरण पूरे देश में चर्चित हुआ तो मुंबई से निर्देशक कैलाश मासूम जी का फोन आया। उन्होंने फिल्म बनाने के लिए मेरी व शीतल की अनुमति मांगी। हमने हां कर दी। अभी बीए-एलएलबी कर रहे हो और बीडीसी सदस्य भी हो। आगे किस ओर जाना है?

संजय : (हंसते हुए) मैं सामान्य सीट पर बीडीसी सदस्य बना हूं। शादी के समय पूरे गांव ने साथ दिया। पर, निजामपुर में जो हुआ, वह ¨चताजनक है। समाज के कई आइएएस व आइपीएस हैं पर खुलकर समाज के हक की बात नहीं कह पाते। समाज के दमन को रोकने के लिए राजनीति में आऊंगा।

कौन-सा चुनाव लड़ेंगे?

संजय : 2020 में हाथरस जिला पंचायत अध्यक्ष का पद एससी के लिए आरक्षित हो सकता है। इसे लेकर अभी सदस्य की तैयारी कर रहा हूं। हाथरस या कासगंज से विधानसभा चुनाव में उतरने की भी तैयारी है।

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