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'मां हूं मैं मुझे सम्मान की नजर से देखो'

दाऊजी मेला पंडाल में गुरुवार रात आयोजित हुआ कवयित्री सम्मेलन आयोजन अतिथियों ने दीप प्रज्वलित करके किया किया सम्मेलन का शुभारंभ आशु कवि अनिल बौहरे के साथ नोकझोंक ने भी श्रोताओं को हं

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 12:48 AM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 12:48 AM (IST)
'मां हूं मैं मुझे सम्मान की नजर से देखो'
'मां हूं मैं मुझे सम्मान की नजर से देखो'

संवाद सहयोगी, हाथरस : मेला श्री दाऊजी महाराज में गुरुवार रात देश के विभिन्न स्थानों से आईं कवयित्रियों ने अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन में अपनी रचनाओं से समां बांध दिया। भोर तक कवयित्री सम्मेलन चला।

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कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि विधायक वीरेंद्र सिंह राणा, पालिकाध्यक्ष आशीष शर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष गौरव आर्य, मेला आयोजक जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार, अपर जिलाधिकारी डॉ.अशोक कुमार शुक्ला, उप जिलाधिकारी नितीश कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। संयोजिका मीरा दीक्षित ने मां शारदे की वंदना की। उनकी पुत्री प्राची ने शहीदों के लिए गीत पढ़ा। मुजफ्फनगर की कवयित्री प्रीति अग्रवाल ने 'दोनों कुल की मर्यादा सपनों में खो जाती है' एवं 'वंदे मातरम' गीत का पाठ किया। चंडीगढ़ से आईं संतोष गर्ग ने सुनाया, 'भले ही गर्दन कट जाए पर मां-बाप को बच्चों में मत बंटने देना।' आशु कवि अनिल बौहरे के साथ नोकझोंक ने श्रोताओं को खूब हंसाया।

रायबरेली से पधारीं कोमल नाजुक ने सुनाया, 'बलशाली है पुरुष का पौरुष, जीती हरदम नारी है, सांवरिया के छप्पन भोग पे, सिर्फ इक तुलसी भारी है।' आगरा की कांची सिघल ने सुनाया, 'औरत हूं मैं, मुझे इंसान की नजर से देखो, मां हूं मैं मुझे सम्मान की नजर से देखो।' बांदा से आई सौम्या श्रीवास्तव ने सुनाया, 'हर सुबह मोहब्बत हो, हर शाम मोहब्बत हो, इस धरा के हर कोने, हर धाम मोहब्बत हो।' सिकंदराराऊ की गीता सिंह ने सुनाया, 'कभी लगती पुरातन सी कभी लगती नवेली है, कभी वो अजनबी लगती, कभी लगती सहेली है।'

सिकंदराराऊ की उन्नति भारद्वाज ने ऐसा रंग जमाया की अतिथियों ने उनको पुरस्कार दिया। उन्होंने सुनाया, उतना पढ़ा शेष अवतार पहले हो प्रभु आगाज कहते हैं, जो करे अंत असुरों का उन्हें सरताज कहते हैं।' डॉक्टर संगीता राज ने सुनाया, 'एक मुलाकात में उस हंसी रात में, वह यह क्या कह गया, बात ही बात में।'

गाजियाबाद की राधिका मित्तल ने पढ़ा, 'गीत हम गुनगुनाने चले आए हैं, शोर थोड़ा मचाने चले आए हैं, धड़कन है जिसके दिल की सुनी, आज दिल में बसाने चले आए हैं।' अलीगढ़ की डा. ममता वाष्र्णेय, राधिका मित्तल व वेदांजलि ने भी काव्यपाठ किया। आगरा की डॉक्टर मंजू दीक्षित ने संचालन किया।

इनसेट-

प्रियंवदा की पुस्तक

का हुआ विमोचन

इस अवसर पर हाथरस की कहानी कार प्रियंवदा दीक्षित की पुस्तक 'तुम्हारी प्रियम' का विमोचन भी हुआ। इस दौरान श्याम बाबू चितन, अजय गौड़, डॉ.उपेंद्र झा, प्रमिला गौड़, सत्यप्रकाश रंगीला, चांद हुसैन, चांद, जयप्रकाश पचौरी, देवेश, आशु, बाल कवि विष्णु, दीपक, रफी, हरिशंकर वर्मा, बीना गुप्ता एडवोकेट आदि मौजूद थीं।


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