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हुजूर, अंग्रेजी माध्यम में भी ¨हदी में पढ़ाई

प्रमोद सिंह, हाथरस : सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों की तर्ज पर बेसिक शिक्षा परिषद के 41 प्राथमिक

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Jul 2018 12:33 AM (IST)Updated: Wed, 18 Jul 2018 12:33 AM (IST)
हुजूर, अंग्रेजी माध्यम में भी ¨हदी में पढ़ाई
हुजूर, अंग्रेजी माध्यम में भी ¨हदी में पढ़ाई

प्रमोद सिंह, हाथरस :

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सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों की तर्ज पर बेसिक शिक्षा परिषद के 41 प्राथमिक विद्यालयों का चयन अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई के लिए हुआ था, ताकि गरीब, असहाय परिवारों के बच्चों को बेहतर शिक्षा का लाभ मिल सके और वे बेहतर भविष्य की नींव रख सकें, लेकिन तंत्र की नाकामी के चलते बच्चों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही है। जुलाई का आधा महीना बीत गया है, लेकिन बच्चों के हाथों में अभी भी अंग्रेजी माध्यम की किताबें नहीं पहुंच सकी हैं। ¨हदी माध्यम की किताबों से ही बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।

यह स्कूल हुए थे चयनित :

हाथरस ब्लाक से प्राथमिक विद्यालय भोपतपुर, हाथरस जंक्शन, मुहब्बतपुरा, गंगौली, बोजया, बरामई और कोका है। मुरसान ब्लाक से मुरसान नंबर एक, खरगू, अहवरनपुर, कुंवरपुर, बुधू नगला हेमराज, जोगिया है। सासनी ब्लाक मे सासनी नंबर दो, नगला ¨सह, समामई, दयानतपुर, रुदायन नंबर दो, अजरोई और सलेमपुर नंबर दो हैं। सिकंदराराऊ ब्लाक के टीकरी खुर्द, अगसौली नंबर एक, भटीकरा, आरिफपुर नंबर दो, कचौरा नंबर दो, खिरजपुर कस्बा व अरनोट शामिल हैं। हसायन ब्लाक में नगला रति, बस्तोई, नगला गुलाबी कमालपुर, हसायन नंबर एक, पुरदिलनगर, पोरा व मोहनपुर नंबर एक है। सादाबाद के सादाबाद प्रथम, बरौस, सादाबाद द्वितीय, कंजोली, मंस्या कला, गुरसौटी व बिसावर प्रथम है। सहपऊ के चौबारा, सहपऊ वार्ड दस, सलेमपुर द्वितीय, शहबाजपुर, मढ़ाका प्रथम, कोकना कला और नगर रति शामिल है। 48 विद्यालयों में से ही हर ब्लाक में एक-एक विद्यालय वैकल्पिक व्यवस्था के लिए रखा गया था। शिक्षकों ने नहीं दिखाई रुचि

फरवरी महीने में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में हेड मास्टर व सहायक अध्यापक पद के लिए आवेदन मांगे गए थे। लिखित व साक्षात्कार प्रक्रिया किए जाने के बाद भी पर्याप्त शिक्षक विद्यालयों के लिए नहीं मिल सके। शिक्षकों ने अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में रुचि नहीं दिखाई। सिर्फ इतने हेड व सहायक अध्यापकों की तैनाती हो सकी। अब पुन: 11 हेड व 147 सहायक अध्यापक पद के लिए आवेदन शिक्षकों से मांगे गए हैं। संसाधनों का अभाव

अंगेजी माध्यम के विद्यालयों में बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर तक नहीं है। सिकंदराराऊ ब्लाक के खिरजपुर अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय में अभी तक तमाम बच्चों को यूनिफार्म नहीं मिली। वहीं शौचालय और चारदीवारी तक खराब पड़ी है। बच्चों को टॉट-पट्टी पर बैठकर पढ़ना पड़ता है। ऐसी ही स्थिति जिले के कई अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों की है। एक अप्रैल से नवीन सत्र की शुरुआत हुई थी, जुलाई आधी बीत चुकी है, लेकिन अभी तक किताबें नहीं मिली हैं। बच्चों को हिन्दी माध्यम की किताबों से पढ़ाया जा रहा है। सँवरने से पहले ही टूटा सपना

हर माँ-बाप की इच्छा होती है कि उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले। ताकि बुढ़ापे में जाकर बच्चे उनकी सेवा कर सकें। अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में बच्चों का दाखिला कराने के बाद अभिभावक खुश हो गए थे, लेकिन अब विद्यालयों का हाल देखकर वे परेशान हो गए हैं। तंत्र की नाकामी :

अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों का चयन फरवरी में ही हो गया था। नवीन सत्र की शुरुआत अप्रैल से हो गई। दो माह का समय बीत जाने के बाद भी विद्यालयों में अव्यवस्था है। यदि सत्र के शुरू होने से पहले ही सरकारी मशीनरी सक्रिय हो जाती तो शायद अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में किताबें पहुंच जातीं। इनकी सुनो

अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में किताबों की सप्लाई करने की अंतिम तिथि चौदह अगस्त है। उससे पहले ही किताबें उपलब्ध हो जाएंगी। किताबों के आते ही उन्हें विद्यालयों में भेज दिया जाएगा।

-एसएन ¨सह, जिला समन्वयक, समेकित शिक्षा।


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