Move to Jagran APP

तीन लाख लोगों का अस्पताल, स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल

77 किलोमीटर के क्षेत्र में होती है दुर्घटनाएं लेकिन अभी तक ट्रॉमा सेंटर की सुविधा भी उपलब्ध नहीं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 May 2021 05:39 AM (IST)Updated: Wed, 26 May 2021 05:39 AM (IST)
तीन लाख लोगों का अस्पताल, स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल
तीन लाख लोगों का अस्पताल, स्वास्थ्य सेवाएं बेहाल

संवाद सूत्र, हाथरस : कोरोना का संक्रमण ग्रामीणों पर लगातार हमला कर रहा है। बावजूद इसके स्वास्थ्य सेवाओं में कोई खास सुधार दिखाई नहीं दे रहा है। चिकित्सकों की कमी से जूझ रहे सादाबाद क्षेत्र में कई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को महामारी के समय कुछ समय के लिए बंद कर दिया जाता है, जिसके कारण मरीजों को झोलाछाप के शोषण का शिकार होना पड़ता है। आगरा-अलीगढ़ राजमार्ग क्षेत्र होने के कारण यहां से सबसे ज्यादा जरूरी है ट्रॉमा सेंटर की है। प्रस्ताव शासन को जा चुका है। भूमि भी उपलब्ध है, लेकिन आज तक ट्रॉमा सेंटर की पैरवी किसी जनप्रतिनिधि ने नहीं की। अधिकतर दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को हाथरस और आगरा रेफर करने को मजबूर होना पड़ता है। दैनिक जागरण की टीम ने मंगलवार को सादाबाद के सामुदायिक तथा क्षेत्र में अन्य प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का हाल जाना तो तमाम खामियां सामने आईं।

loksabha election banner

यह हैं हालात : सादाबाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में नगर क्षेत्र के अलावा सहपऊ, मुरसान तथा चंदपा क्षेत्र का आंशिक हिस्सा यहां स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए आता है। लगभग तीन लाख की आबादी इस स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर है। तहसील मुख्यालय पर मात्र 30 बेड वाला एकमात्र अस्पताल है। इस समय कोरोना के कारण ओपीडी बंद है। आम दिनों में ओपीडी में 600 से 800 मरीज प्रतिदिन आते रहे हैं। रेफरल मरीजों के लिए एंबुलेंस की स्थिति बहुत खराब है। सादाबाद का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जोकि एफआरयू भवन में है, इसके तहत ऊंचागांव, मई, बिसावर, बिलारा, जैतई जैसे पांच नव प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और आते हैं। इन छह अस्पतालों में कुल 10 चिकित्सक हैं, जिनमें हड्डी रोग, दंत रोग चिकित्सक, आई सर्जन तथा एमबीबीएस डॉक्टर हैं। अस्पताल में 7 स्टाफ नर्स, 2 वार्ड ब्वॉय, दो फार्मासिस्ट व दो स्वीपर हैं। अस्पताल के एफआरयू भवन में महिला चिकित्सक तैनात है। महिलाओं के सीजर ऑपरेशन की व्यवस्था मौजूद है। महिला तथा पुरुष नसबंदी की व्यवस्था है। अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था न होने के कारण मरीजों को हाथरस जाना पड़ता है। अस्पताल में कई एंबुलेंस खराब खड़ी हैं।

ट्रॉमा सेंटर की आस :

सादाबाद के हाथरस रोड पर 25 साल पूर्व अस्पताल कई एकड़ में बना हुआ था। जो पूरी तरह से जर्जर हालत हो चुका है। इस पर सादाबाद तथा सहपऊ के बाल विकास परियोजना कार्यालय चल रहे हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ने शासन से इस जमीन पर ट्रॉमा सेंटर बनाने की मांग की थी। ट्रामा सेंटर की मांग यहां लंबे समय से की जा रही है, जिसका मुख्य कारण है कि सादाबाद आगरा मार्ग पर 15 किलोमीटर, हाथरस मार्ग पर 10 किलोमीटर, मथुरा मार्ग पर 14 किलोमीटर, राया मार्ग पर 13 किलोमीटर के अलावा जलेसर मार्ग पर 15 किलोमीटर, जैतई मार्ग का 10 किलोमीटर का एरिया आते हैं।

इन मार्गो पर होने वाली दुर्घटना के घायल सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में ही लाए जाते हैं, लेकिन यहां प्राथमिक उपचार कर उन्हें आगरा अथवा हाथरस के लिए रेफर कर दिया जाता है। अक्सर गंभीर रूप से घायल मरीजों की सांस रास्ते में टूट जाती है। कोविड काल की स्थिति : सादाबाद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में अब तक लगभग 14,500 लोगों को कोरोना के टीके लगाए जा चुके हैं। एहतियातन गांव-गांव निगरानी समितियां लगी हुई हैं, जिनमें आशा तथा आंगनबाड़ी कार्यकत्री शामिल हैं। अस्पताल में एंटीजन तत्काल मिल जाती है तथा दूसरी जांच रिपोर्ट तीसरे दिन मिल पाती है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कुरसंडा को नहीं मिला स्टाफ तथा संसाधन

कुरसंडा में 100 बेड का अस्पताल शासन से मंजूर कराया था और अस्पताल का निर्माण पूरा हो चुका है। करीब एक साल से अस्पताल का निर्माण पूरा होने के बाद अभी तक अस्पताल में न कोई स्टाफ की तैनाती की गई न ही यहां संसाधन जुटाए गए। अस्पताल की इमारत तैयार है। कोरोनावायरस के इस समय में यदि इस अस्पताल में संसाधन मौजूद होते, चिकित्सकों की तैनाती होती तो निश्चित रूप से यह अस्पताल एल-वन व एल -टू की श्रेणी में यहां मरीजों को इलाज मिल सकता था। बोले लोग

इस समय अस्पताल की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव है। इसके कारण लोगों को आगरा जाने को मजबूर होना पड़ता है।

-दुष्यंत चौहान सादाबाद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बाल रोग चिकित्सक न होने के कारण बच्चों की तबीयत खराब हो जाने पर प्राइवेट चिकित्सकों को दिखाने को मजबूर होना पड़ता है। अथवा आगरा जाना पड़ता है।

-अंकित पाराशर वर्जन

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर कुछ विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है। शासन को मांग भेज दी गई है। संसाधनों के हिसाब से आवश्यक सेवाएं सभी मरीजों को प्रदान की जा रही हैं। अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था न होने के कारण कुछ लोग इसका लाभ नहीं ले पाते हैं। फिलहाल ओपीडी बंद है लेकिन फीवर डेस्क स्थापित करके मरीजों को बुखार की दवाई दी जा रही है। कोरोना मरीजों की जांच चल रही है।

-डॉ. दानवीर सिंह, चिकित्सा अधीक्षक, सीएचसी सादाबाद


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.