बूलगढ़ी कांड में आरोपित रामू की जमानत अर्जी पर नहीं हुई सुनवाई
स्थानीय अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते आगे बढ़ी सुनवाई की तारीख मृतका का भाई अधिवक्ता सीमा कुशवाहा भी पहुंचीं हाथरस न्यायालय।
जासं, हाथरस : बहुचर्चित बूलगढ़ी कांड के आरोपित रामकुमार उर्फ रामू की जमानत के लिए विशेष न्यायालय अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम में दाखिल अर्जी पर बुधवार को सुनवाई होनी थी मगर स्थानीय अधिवक्ताओं की हड़ताल के चलते सुनवाई नहीं हो सकी। पीड़ित पक्ष की ओर से अधिवक्ता सीमा कुशवाहा व मृतका के बड़े भाई भी अदालत पहुंचे। इसके लिए अगली तिथि 29 जनवरी नियत की गई है।
बूलगढ़ी मामले में चारों आरोपित संदीप, रामकुमार उर्फ रामू, रवि और लवकुश अलीगढ़ जेल में हैं। 67 दिन की जांच के बाद सीबीआइ ने हाथरस के विशेष न्यायालय एससी-एसटी एक्ट में चार्जशीट दाखिल की थी। चार जनवरी को चारों आरोपितों की कोर्ट में पेशी के बाद चार्जशीट की कॉपी सौंप दी गई थी। आरोपित पक्ष के अधिवक्ता मुन्ना सिंह पुंढीर की ओर से रामू की जमानत के लिए न्यायालय में अर्जी दाखिल की गई। इसी को लेकर बुधवार को वादी पक्ष की अधिवक्ता सीमा कुशवाहा, सीबीआइ के अधिवक्ता, मृतका के बड़ा भाई कोर्ट पहुंचे। इधर, 12 दिन पहले कोतवाली हाथरस गेट में अधिवक्ताओं और बसपा नेता के बीच मारपीट के मामले में दोनों पक्षों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। वकीलों पर दर्ज मुकदमे को खारिज कराने की मांग को लेकर स्थानीय अधिवक्ता दो दिन से हड़ताल पर थे। वादी पक्ष की अधिवक्ता सीमा कुशवाहा ने बताया कि वकीलों की हड़ताल के चलते बुधवार को सुनवाई नहीं हो सकी। अगली तिथि 29 जनवरी तय की गई है। दूसरी सुनवाई भी 29 को
18 दिसंबर को सीबीआइ ने विशेष न्यायालय एससी-एसटी एक्ट हाथरस में चारों आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। इस मामले की पहली सुनवाई चार जनवरी को हुई थी। तब चारों आरोपितों को चार्जशीट की कॉपी सौंपी गई थी। इस मामले में दूसरी सुनवाई के लिए 29 जनवरी की तिथि तय है। अब इसी दिन रामू की जमानत अर्जी पर भी सुनवाई होगी। उधर हाइकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में गरिमामयी ढंग से अंतिम संस्कार का अधिकार टाइटल पर दर्ज जनहित याचिका पर 27 जनवरी को सुनवाई होनी है।
कड़ी सुरक्षा में कोर्ट पहुंचा
मृतका का बड़ा भाई
बूलगढ़ी की मृतका का बड़ा भाई बुधवार को सीआरपीएफ जवानों की सुरक्षा में कोर्ट पहुंचा। जमानत अर्जी पर सुनवाई को लेकर अदालत के बाहर पुलिस व पीएसी मौजूद रही। मीडिया की एंट्री पर रोक रही।