'कड़ी सुरक्षा' में है मेहनत, फिर भी उम्मीदें खतरे में
साड़ियों से घेराबंदी, बांस-बल्ली की चौकियां बनाकर पशुओं से फसलों की रखवाली कर रहे किसान
जासं, हाथरस : खेतों में बांस-बल्ली से बनीं चौकियां, उन पर बैठे बच्चे व महिलाएं। फसल के चारों ओर साड़ियों का घेरा, और भी ऐसे तमाम उपाय, जो अब किसानों के दर्द की दवा बन रहे हैं। इस दर्द का सबसे बड़ा कारण बेसहारा पशु हैं, जो फसलों को बर्बाद करके किसानों की मेहनत को चोट पहुंचा रहे हैं। किसानों के मुताबिक, दो माह में जिन फसलों की लंबाई एक-एक हाथ तक होनी चाहिए, वह आधी भी नहीं हैैं। इसे देखकर उनकी उम्मीदें खतरें में हैं।
दरअसल, इस साल किसानों को अच्छी फसल की उम्मीद थी, लेकिन लावारिश पशुओं ने बैठे-बैठाए किसानों की समस्या बढ़ा दी है। पशु रोजाना खेतों में घुसकर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बुधवार को दैनिक जागरण ने कलक्ट्रेट के नजदीक हतीसा भगवंतपुर में फसलों की सुरक्षा कर रहे किसानों के बीच जाकर पड़ताल की। गांव में फसल की सुरक्षा के लिए अधिकतर किसानों ने किलाबंदी कर रखी थी। किसान रामअवतार ने बताया कि आलू व गेहूं की फसल बोए दो माह से अधिक हो चुके हैं। दो माह में एक-एक हाथ तक फसल की लंबाई बढ़ जाती है, लेकिन पशुओं द्वारा फसल खाने से फसलों की लंबाई एक हथेली बराबर भी नहीं है। आंखों के सामने नष्ट होती फसल को बचाने के लिए अब किसानों को कड़ी निगरानी करनी पड़ रही है। किसान रात-रातभर खेतों में ही रुककर रखवाली कर रहे हैं। किसानों की पीड़ा
आज से पहले कभी भी इस तरह फसल की निगरानी नहीं करनी पड़ी। अन्नदाता बर्बादी की कगार पर हैं, लेकिन शासन-प्रशासन अभी तक लावारिश पशुओं से निजात दिलाने के लिए हल नहीं खोज पाया।
हिमांशु, किसान फसलों को पशु बर्बाद कर रहे हैं, लेकिन इनका स्थायी समाधान नहीं मिल पा रहा है। चौकियां स्थापित कर फसलों की निगरानी करनी पड़ रही है। रात-रात भर जगना पड़ता है।
छत्रपाल ¨सह, नगला मैया, किसान आलू की फसल को साड़ियों से बांधकर किलाबंदी की जा रही है, जिससे सीधे पशु खेत में न घुस सके। एक माह में भी प्रशासन लावारिश पशुओं से निदान के लिए कोई हल नहीं कर सका है।
श्यामवीर ¨सह, नगला मैया, किसान ---------------
लावारिश पशुओं की समस्या से निजात के जनपद भर में बहुत तेजी से कवायद चल रही है। कुछ ही दिनों में लावारिश पशुओं की समस्या से किसानों को निजात दिलाई जाएगी।
रमाशंकर मौर्य, डीएम