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मंदी के धुंध में चमक रहा सोना

-पिछले एक दशक में कई गुना बढ़ी सोने की कीमत सर्वोच स्तर पर पहुंचा -निवेशकों के कारण आम आदमी की पहुंच से हुआ दूर सूना पड़ा सराफा बाजार

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 12:17 AM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 12:17 AM (IST)
मंदी के धुंध में चमक रहा सोना
मंदी के धुंध में चमक रहा सोना

जागरण संवाददाता, हाथरस: दुनिया की अर्थव्यवस्था का सीधा संबंध सोने की कीमत से है। अर्थव्यवस्था जरा भी लड़खड़ाती है तो इसका असर सोने की कीमत पर पड़ता है। वैश्विक स्वीकार्यता के कारण लोग सोने में निवेश करते हैं। छू व देख सकने के कारण निवेशक शेयर की बजाए सोने की तरफ भागते हैं। यही वजह है कि आर्थिक मंदी में इन दिनों सोने के भाव आसमान पर हैं। शनिवार को सराफा में 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 38,400(हाजिर भाव) रुपये रही। आगे भी गिरावट की उम्मीद नजर नहीं आ रही।

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भारतीय संस्कृति में सोने का अपना महत्व है। प्राचीन काल से ही यहां के लोगों का सोने से लगाव रहा है। जेवरात के रूप में हर भारतीय के घर सोना है, जो कि स्टेट्स सिबल तो रहता ही है, साथ ही बुरे दौर, जैसे आर्थिक मंदी में उबारने का काम करता है। हमारे यहां त्योहार व शादी के सीजन पर सोने की मांग बढ़ जाती है। तब कीमतों में कुछ इजाफा होता है। जब देश वैश्विक आर्थिक मंदी का सामना करता है तो सोने की कीमतों में इजाफा तेजी से होता है, जैसा कि वर्तमान स्थिति है। भारतीय बाजार में सोने की कीमतें अब तक सबसे ऊंचे स्तर पर हैं। सराफा में सोने के भाव शुक्रवार को 39 के करीब थे। एमसीएक्स में सोना 40 हजार पार पहुंच चुका है। गुरुवार को भाव 40 प्लस थे। शनिवार को एमसीएक्स के भाव 39,670 प्रति 10 ग्राम रहे। इस समय सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया में भी सोने की कीमतें आसमान छू रही हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें सर्वोच्च स्तर पर हैं। विदेशी बैंकों ने भी सोने में निवेश बढ़ाया है, जिसका परिणाम है कि सोना आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गया है। यही वजह है कि शहर का सराफा मार्केट ठंडा पड़ा है। कारोबारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। सोने पर भरोसा

इस तरह की आर्थिक मंदी में निवेश ठोस सोने पर विश्वास करते हैं। टेंजिबल असेट(छू सकने वाली संपत्ति) व वैश्विक स्वीकार्यता के कारण ऐसा है। यूं तो पिछले एक दशक में इक्विटी शेयर्स व म्यूच्यूअल फंड्स में निवेश का क्रेज बढ़ा है। इसकी वजह है अच्छा रिटर्न मिलना, लेकिन जब मार्केट डाउन होता है तथा भय का माहौल होता है तो लोग इक्विटी शेयर्स व अन्य जगहों से पैसा निकालकर सोने में लगा देते हैं। अमेरिका व चीन का असर

मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देश अमेरिका व चीन के बीच चल रहे ट्रेड वार के कारण हालत बिगड़ रहे हैं। अर्थशास्त्री एससी शर्मा ने बताया कि इस व्यापारिक तनाव का असर इस बार भारत पर भी पड़ रहा है। कैश फ्लो शून्य होने के कारण लघु उद्योग बुरी तरह प्रभावित हैं। इसलिए किसी भी चीज की खरीदारी से आम लोगों से लेकर उद्यमी बच रहे हैं। वर्तमान नियम-कानून के कारण कारोबारी कैश हाथ में रख नहीं सकते। इसलिए वे सीधे सोने में निवेश कर रहे हैं। दीपावली तक 42 हजार पार

हाथरस सराफा कमेटी के अध्यक्ष मोहनलाल के अनुसार दुनिया के शेयर बाजारों में फिलहाल आर्थिक मंदी है। इस कारण आने वाले दिनों में सोने की कीमतों में गिरावट के कोई आसार नजर नहीं आ रहे। कारोबारियों की मानें तो आगे त्योहार का समय है। दीपावली पर वैसे ही सोने की खरीदारी बढ़ती है। ऐसे में इस दीपावली सराफा हाजिर भाव 42 हजार प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच सकते हैं, जबकि एमसीएक्स में यही भाव 45 हजार पार होंगे।

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पिछले दस सालों के सोने के रेट (प्रति 10 ग्राम) वर्ष न्यूनतम अधिकतम

2010 16010 20890

2011 19,566 29,364

2012 27,206 32,450

2013 24,886 34,953

2014 25,243 30,688

2015 24,488 28,199

2016 24,190 32,336

2017 27,415 30,428

2018 29,070 32,278

2019 31,253 39,380


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