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फिर से आलू पर भरोसा जता रहे किसान

जिले में युद्धस्तर पर चल रही आलू की बुवाई घाटे बाद भी कम नहीं हुआ आलू का आकर्षण

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 12:41 AM (IST)Updated: Sat, 02 Nov 2019 12:41 AM (IST)
फिर से आलू पर भरोसा जता रहे किसान
फिर से आलू पर भरोसा जता रहे किसान

जासं, हाथरस : आलू को लेकर कितना भी घाटा क्यों न हो, पर इसके प्रति किसानों का क्रेज कम नहीं हो रहा है। इस बार भी बंपर पैदावार का अनुमान लगाते हुए किसानों ने फिर से कमर कसते हुए आलू की बुवाई खेतों में शुरू कर दी है।

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जिले में करीब 45 हजार हेक्टेयर में आलू की फसल पैदा की जाती है। इसमें कुल रकबे का आधा रकबा आलू सादाबाद क्षेत्र में ही किया जाता है। आलू की बंपर पैदावार को लेकर किसानों ने अभी से आलू की बुवाई शुरू कर दी है। अगेती आलू की बुवाई के लिए 15 नवंबर तक का समय उचित माना जा रहा है। आलू की बुवाई के लिए किसानों को पहले बाकायदा खेत को तैयार करना पड़ता है।

सादाबाद के अलावा आलू सासनी, सिकंदराराऊ, हसायन, पुरदिलनगर, हाथरस जंक्शन, मुरसान, मेंडू, लाड़पुर आदि क्षेत्रों खूब किया जाता है। इसमें कुफरी बादशाह, कुफरी बहार, कुफरी सोबिया, चिपसोना का चारों प्रजाति का आलू पैदा किया जाता है। इसमें सबसे अधिक आलू चिपसोना की 3597 आदि प्रजाति का अधिक मात्रा में किया जाता है। इस बार भी आलू की बंपर पैदावार जनपद में होने का अनुमान लगाया जा रहा है। आलू बीज के लिए कोल्ड स्टोर पर वाहनों की लंबी कतारें लगी हुई हैं।

बाक्स

बीज के लिए दिया जा रहा अनुदान

इस बार आलू के बीज की किल्लत को दूर करने के लिए इस बार प्रजाति बार आलू बीज का उत्पादन कुल 25 सौ क्विटल आलू का बीज का आवंटन प्राप्त हुआ है। प्राप्त आवंटन में जनपद के लिए कुफरी बहार, कुफरी सूर्या, कुफरी चिपसोना-एक, कुफरी आनंद, कुफरी गरिमा, कुफरी सदाबहार नाम की प्रजाति शामिल है। इनमें फाउंडेशन -फस्ट सीड साइज 1745 रुपये, फाउंडेशन-फस्ट ओवर साइज 1320 रुपये व प्रमाणित सीड साइज 1205 रुपये प्रति क्विटल निर्धारित की गई है। आलू बीज प्राप्त करने के लिए आवेदन पिछले 25 सितंबर से लेकर 25 अक्टूबर तक लिए गए थे। इसमें प्रति हेक्टेयर क्षेत्रफल पर 25 हजार रुपये का अनुदान दिया जा रहा था। इसमें लक्ष्यों के सापेक्ष बीज उत्पादन हेतु सूर्या व चिपसोना प्रजाति का आलू बीज कृषकों को उपलब्ध कराया जायेगा।

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किसानों में लोकप्रिय है आलू

पिछले कई वर्षों से आलू की फसल पैदा करने वाले किसानों को घाटे का सामना करना पड़ रहा है। आलू की बंपर पैदावार होने पर उम्दा प्रजाति वाला कीमतें गिरने पर कोल्ड में ही सड़ जाता है। आलू के बाहर नहीं जाने और अन्य प्रांतों में भी आलू के होने के अलावा जनपद में आलू का कोई प्रोजेक्ट नही होने से भी आलू की फसल किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है।

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इनका कहना है

जनपद में करीब 45 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में आलू किया जाता है। इसमें सबसे अधिक आलू सादाबाद में ही होता है। इस बार आलू का रकबा बढ़ने की उम्मीद है।

एचएन सिंह, कृषि उपनिदेशक

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आलू की फसल से में अत्यधिक खादों व कीटनाशकों के प्रयोग से भूमि की उर्वरता अन्य फसलों के लायक कम रह जाती है। उसमें आलू ही अधिक होता है। जंगली जानवर भी इस फसल को कम नुकसान पहुंचाते हैं। इस कारण आलू को किसान अधिक महत्व दे रहे हैं।

डा. एसआर सिंह कृषि वैज्ञानिक जल्दी बुवाई होने से फसल को पाले से नुकसान नहीं होगा। इसीलिए बुवाई का कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है।

जयंती प्रसाद किसान पिछले दो साल से घाटा उठा रहे किसानों को इस बार अच्छा लाभ होने की संभावनाएं हैं। इसलिए आलू करना किसान के लिए मजबूरी बन गया है।

रामनिवास शर्मा किसान


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