Move to Jagran APP

निराश्रित पशुओं को रोकने के लिए खेतों की किलेबंदी

बेसहारा पशुओं से फसलों को बचाने के लिए किसान लगा रहे कंटीले तार व झटका मशीन।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 04:16 AM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 04:16 AM (IST)
निराश्रित पशुओं को रोकने के लिए खेतों की किलेबंदी
निराश्रित पशुओं को रोकने के लिए खेतों की किलेबंदी

जागरण संवाददाता, हाथरस : आसपास के गांवों में निराश्रित पशुओं की संख्या में वृद्धि होने के कारण किसानों की फसलों को नुकसान हो रहा है। पशुओं को खेत में घुसने से रोकने के लिए किसानों को अपने खेतों में कटीले तार लगाने को मजबूर होना पड़ रहा है। क्षेत्र में छुट्टा पशुओं की दिन-प्रतिदिन बढ़ती संख्या किसानों के लिए आफत बन चुकी है। इन पशुओं के झुंड जिधर से भी गुजरते हैं वहां खड़ी फसल को मिनटों में चौपट कर डालते हैं। इन पशुओं में सर्वाधिक संख्या विदेशी नस्ल की गाय व बछड़ों की नजर आ रही है और इनको अपने क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में धकेलने को लेकर किसानों के बीच आए दिन झगड़े भी होते रहते हैं।

loksabha election banner

क्षेत्र के खेतों में रबी की गेहूं, सरसों, चना सहित अन्य फसलों को मवेशी खेत में घुसकर खराब कर देते हैं। सुरक्षा के लिए खेत के चारों और तार बाड़ आदि लगाई जाती है लेकिन नीलगायों के झुंड इन तार बाड़ को लांघकर खेतों में घुस जाते हैं। किसानों ने बताया कि तार बाड़ के लिए एक एकड़ में लगभग बीस से तीस हजार रुपये का खर्चा आ रहा है। किसानों के लिए दयनीय स्थिति तो तब बन जाती है, जब बड़े झुंड खेतों में घुसकर फसलों को पूरी तरह से चौपट कर देते हैं। किसान जब तक खेत में पहुंचते हैं तब तक अपने उत्पात से किसानों की मेहनत पर पानी फेर चुके होते हैं। इन बेसहारा पशुओं को भगाना भी 1-2 व्यक्तियों के बस की बात नहीं होती है। किसान इन पशुओं को दूसरे क्षेत्रों में भगाने का प्रयास करते हैं तो कई बार किसानों के बीच टकराव की नौबत आ जाती है। सादाबाद में सबसे ज्यादा नुकसान

सादाबाद के किसानों का कहना है कि क्षेत्र में आलू की पैदावार सबसे ज्यादा होती है। इसी फसल को सबसे ज्यादा नुकसान बेसहारा पशु पहुंचाते हैं। इसलिए किसान इस क्षेत्र में मेड़बंदी भी सबसे ज्यादा करते हैं। इस बारे में कई बार डीएम को बताया गया मगर कोई सुनने वाला नहीं है। किसानों की पीड़ा

हमें सरकार छल रही है। किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलित हैं। कृषि कानून को लेकर सरकार और किसानों के बीच टकराव की नौबत है। मवेशी लगातार खेतों में खड़ी फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। प्रशासन को इंतजाम करना चाहिए।

जयपाल सिंह, कुरसंडा, हाथरस। लगातार निराश्रित पशु फसलों को चौपट कर रहे हैं। कई बार शिकायतें प्रशासन से की गईं। जन प्रतिनिधियों को भी कहा गया, किसी ने किसानों के दर्द को नहीं समझा। मवेशियों को रोकने के लिए खुद लोहे के कटीले तार लगाए गए हैं।

चंद्रपाल सिंह, कुरसंडा, हाथरस। एक नजर आंकड़ों

02 स्थाई गोशाला पुन्नेर, मेंडू

17 गोशाला ग्राम पंचायतों पर

3551 गोवंश 17 गोशाला में

662 मवेशी स्थाई गोशाला में

30 रुपये प्रति गोवंश के लिए चारा वर्जन

शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि नगर पालिका और नगर पंचायत क्षेत्रों और ब्लाक स्तर पर ब्लाक अफसरों को गोवंश के लिए गोशालाओं का इंतजाम कराना है ताकि वह खेतों की ओर जाकर किसानों की फसल नष्ट न कर सकें। ग्राम पंचायतों पर भी छोटी गोशाला का इंतजाम होना चाहिए।

तेज सिंह यादव, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी हाथरस।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.