ईओडब्ल्यू की कार्रवाई से घोटालेबाजों में खलबली
हाथरस में छात्रवृत्ति घोटाले में परतें खुलती जा रही हैं। आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) की कार्रवाई से घोटालेबाजों में खलबली मची हुई है।
जासं, हाथरस : हाथरस में छात्रवृत्ति घोटाले में परतें खुलती जा रही हैं। आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) की कार्रवाई से घोटालेबाजों में खलबली मची हुई है। छात्रों की फर्जी संख्या दिखाकर लाखों रुपये का गोलमाल करने वाले धीरे-धीरे में शिकंजे में आ रहे हैं।
पूर्व जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी वीरेंद्र पाल सिंह ने मदरसों सहित जिले के 41 विद्यालयों में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के नाम पर धनराशि का बंदरबांट किया था। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के खातों के स्टेटमेंट व भौतिक सत्यापन से यह बात सामने आई थी कि वर्ष 2011 से 2013 तक हाथरस जिले के 41 विद्यालयों और मदरसों में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि दी गई। एनआइसी से प्राप्त विद्यालयवार डाटा बेस एवं एसबीआइ हाथरस के छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के खाते की समीक्षा करने पर सामने आया कि वीरेंद्र पाल सिंह ने भारत सरकार की प्री मैट्रिक स्कालरशिप प्राप्त करने के लिए विभिन्न संस्थाओं के नाम फर्जी व मनमाने तरीके से फीड कर धनराशि की मांग की थी। इन स्कूलों में छात्र संख्या का भौतिक सत्यापन नहीं कराया गया था। तत्कालीन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी रहे वीपी सिंह की गिरफ्तारी के बाद उनके कारनामों की परतें खुलीं। कुल 41 मदरसों और स्कूलों के नाम पर 24 करोड़ 92 लाख 76 हजार रुपये का घोटाला पाया गया। तभी से ईओडब्ल्यू इस मामले में जांच कर रही है। 20 से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। कई लोग जेल भी भेजे गए। सहपऊ, मुरसान क्षेत्र के कई कालेज संचालकों ने लाखों रुपये की रकम हड़पी है। इनमें से कई विद्यालय जमीन पर ही नहीं थे।
जलेसर रोड बुढ़ाइच स्थित एसडी एजूकेशनल इंस्टीट्यूट और आरपीआइ टीसी संस्थान में छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति का नाम भी इस घोटाले में शामिल था। दोनों कालेजों ने बिना मान्यता के ही शासन से शुल्क प्रतिपूर्ति लेकर 93 लाख रुपये का घपला किया है। अब आरपीआइ टीसी के प्रधानाचार्य श्यामवीर सिंह को उसके घर कोकना कला, सहपऊ (हाथरस) से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। सरकारी कर्मचारियों व बैंककर्मियों की गिरफ्तारी के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है। इस कार्रवाई से घोटाला करने वाले आरोपितों में खलबली है। कुछ माह पहले भी घोटाला करने वाले कालेजों को अंतिम नोटिस भेजे गए थे, जिनमें से सात विद्यालय जमीन पर ही नहीं मिले हैं।