1.12 करोड़ के गबन में विद्युत कर्मी बर्खास्त, दो अन्य पर भी कार्रवाई
विद्युत वितरण खंड चतुर्थ सादाबाद में रहते हुए वर्ष 2010 से 2013 के बीच डकारी थी धनराशि।
जागरण संवाददाता, हाथरस : जनपद के विद्युत वितरण खंड चतुर्थ सादाबाद में वर्ष 2010 से 2013 के बीच तैनाती के दौरान 1.12 करोड़ रुपये का गबन करने के मामले में तत्कालीन तीन विद्युत कर्मियों पर गाज गिरी है। एक कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया गया है, जबकि दो अन्य पर डिमोशन और पेंशन से वसूली की कार्रवाई की गई है। उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन लिमिटेड के चेयरमैन एम. देवराज ने मंगलवार को कार्रवाई के संबंध में पत्र जारी किया।
सादाबाद विद्युत उपखंड पर 22 अगस्त 2010 से 4 मई 2013 तक राजेश सारस्वत कार्यालय सहायक रोकड़िया के पद पर तैनात रहे। उन्होंने दो बार में 72.13 लाख रुपये का गबन किया। 16 अप्रैल 2013 को राजेश ने राजस्व वसूली 22.94 लाख रुपये बैंक में जमा कराने जाते समय लूट की घटना होने की बात कही थी। इसका मुकदमा भी दर्ज कराया गया। मुकदमे में लूट की धनराशि 22.70 लाख रुपये दर्शायी गई। अवशेष 24 हजार रुपये का कोई हिसाब वह नहीं बता पाए। इसके बाद ही उन पर गबन का शक जाहिर होने लगा। इधर पुलिस की विवेचना में भी लूट की घटना झूठी पाई गई। पुलिस ने मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट लगा दी। इसके अलावा अप्रैल 2013 से मई 2013 के बीच राजेश सारस्वत ने कुल 49.17 लाख की धनराशि राजस्व रोकड़ बही से मुख्य रोकड़ बही में हस्तांरित करना दर्शाया जबकि मुख्य रोकड़ बही में यह धनराशि दर्ज ही नहीं की गई। 49.17 लाख का गबन किया गया। जांच में आरोप सही पाए गए। इस पर यूपीपीसीएल के चेयरमैन एम. देवराज ने राजेश सारस्वत को पदच्युत कर दिया। गबन की गई 72.13 लाख रुपये की वसूली के आदेश दिए हैं।
दूसरी कार्रवाई तत्कालीन सहायक लेखाकार राजस्व सुरेंद्र कश्यप पर की गई है। उन्होंने जुलाई 2010 से मई 2013 तक सादाबाद में तैनाती के दौरान करीब 14 लाख रुपये का गबन किया है। उपभोक्ताओं को जारी 62 रसीदों के आधार पर 8.75 लाख रुपये राजस्व आया था। राजस्व बही में दर्ज न कर इस धनराशि का गबन कर लिया। इसके अलावा मैनुअल रोकड़ बही का बैंक खाते से मिलान किया गया तो 5.53 लाख रुपये का और हेरफेर सामने आया। जांच के बाद आरोप सही पाए गए। सुरेंद्र कश्यप सेवानिवृत्त हो चुके हैं। कार्पोरेशन के चेयरमैन ने जांच रिपोर्ट के आधार पर उनकी शिथिलता को मिसकंडक्ट मानते हुए पेंशन में प्रतिमाह 10 प्रतिशत कटौती के आदेश दिए हैं।
तीसरी कार्रवाई तत्कालीन कार्यालय सहायक तृतीय विनोद कुमार पर की गई है। विनोद कुमार ने 3 अप्रैल 2013 और 3 मई 2013 के बीच दो बार में क्रमश: 22.76 लाख और 26.40 लाख रुपये का गबन किया। 2017 में इस संबंध में जांच शुरू हुई। विनोद कुमार ने 30 अप्रैल 2013 से 3 मई 2013 तक खुद को अवकाश पर दर्शाया। जांच में सामने आया कि गबन में फंसने के बाद उन्होंने डेढ़ वर्ष बाद सितंबर 2014 में अवकाश का प्रार्थनापत्र विभाग को रिसीव कराया था। यह प्रार्थनापत्र संदिग्ध और कूटरचित पाया गया। कार्पोरेशन के चेयरमैन ने विनोद कुमार का कार्यालय सहायक से कार्यकारी सहायक मूल वेतन पर डिमोशन कर दिया है।