लॉकडाउन में बुजुर्गो ने संभाली घर की बागडोर
जिम्मेदारी - घर में रहकर सभी की बोरियत दूर कर रहे बुजुर्ग साझा कर रहे अनुभव - बचों को कहानियां सुनाने उन्हें पढ़ाने से खुद का मन भी बहला रहे
संसू, हाथरस : कोरोना को लेकर लॉकडाउन का पूरे देश में चल रहा है। प्रधानमंत्री की अपील का पालन स्वेच्छा से किया जा रहा है। बच्चों के साथ परिजनों को घर के अंदर संभाले रखने में बुजुर्गों का अनुभव काफी काम आ रहा है।
कोरोना महामारी से बचने के लिए लोग घरों में रहने को मजबूर हैं ऐसे में घर के लोगों को संभालने की जिम्मेदारी बुजुर्गो पर आ गयी है। उन्होने अपने अनुभवों से स्थिति को नियंत्रण में रखे हुए हैं। इसके लिए बच्चों को कहानियां सुनाने, उन्हें पढ़ाने, बड़े सदस्यों को पहले हो चुकी महामारियों के कहर के बारे में बताकर, समझाने का कार्य कर रहे हैं। बुजुर्ग अपने परिवार के साथ दूसरों को भी घरों में रहने के लिए लोगों जागरूक कर रहे हैं।
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इनका कहना है
यह समय धैर्य का है। मन पर काबू पा लेने से घर पर रहना आसान हो जाएगा। इस समय को सकारात्मक तरीके लेते हुए समय परिवार के साथ गुजारते हुए सभी को इस महामारी से लड़ना होगा।
- ठा.चोब सिंह।
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जीवन में ऐसा लॉकडाउन नहीं देखा। कोरोना से बचने को यह बहुत जरूरी है। बच्चों को अपने अनुभवों से घर पर रहकर ही उनको पढ़ाने-लिखाने के कार्य से भी मन बंटा रहेगा।
- ज्ञान सिंह।
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जिम्मेदारी का एहसास सभी को होना चाहिए। इस महामारी से खुद भी लड़े और सभी को जागरूक करें। घर के बाहर रहकर इस महामारी से जो लड़ रहे है, उनका सहयोग घर पर रहकर करना चाहिए।
- चन्द्रमोहन वाष्र्णेय।
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लॉकडाउन का सबसे ज्यादा लाभ युवाओं को उठाना चाहिए, घर पर रहकर व्यायाम करें और लगातार अध्ययन करते रहें, धाíमक और साहित्यिक ज्ञान भी अíजत किया जा सकता है।
- महेंद्र कुमार वाष्र्णेय।